BJP सांसद ने पेश किया था प्रस्ताव दरअसल, 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का निजी विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था। राज्यसभा में यह विधेयक पेश करते समय विवाद हुआ था और सदन में विधेयक पेश करने के लिए भी मतदान कराया गया था। तब विधेयक को पेश करने के समर्थन में 53 जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया।
समाज में नफरत फैलाता है वक्फ बोर्ड अधिनियम यह विधेयक पेश करने की अनुमति मांगते हुए भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995’ समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है। यह अपनी अकूत ताकत का दुरुपयोग करता है। समाज की एकता और सद्भाव को विभाजित करता है। अपनी अकूत शक्तियों के आधार पर सरकारी, निजी संपत्तियों तथा मठ, मंदिरों पर मनमाने तरीके से कब्जा करता है।
न्यायपालिका की सर्वोच्चता को खंडित करता है वक्फ बोर्ड इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि यह कानून पीड़ित पक्षों को उनके अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अदालत जाने से रोकता है जो न्यायपालिका और अदालत की सर्वोच्चता को खंडित करता है। भाजपा सांसद ने सदन से “देश हित में” वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने के वाले विधेयक को पुरस्थापित करने की इजाजत मांगी थी।
विपक्ष के सांसदों ने किया था विरोध राज्यसभा के कई सांसद इस निजी विधेयक के खिलाफ थे। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने मत विभाजन की मांग की थी। माकपा के इलामारम करीम ने इस विधेयक का विरोध किया था। वक्फ बोर्ड का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान और अनाथालय चलता है। उन्होंने कहा कि यह एक काफी संवेदनशील विषय है और यह समाज के विभिन्न संप्रदायों के बीच नफरत और बंटवारा पैदा करेगा, इसलिए इस विधेयक को सदन में पेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि संसद का यह दायित्व है कि संसद भवन से कोई ऐसा विचार कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो।
अलग विधेयक संसद में पेश कर सकती है सरकार अब आधिकारिक तौर पर सरकार एक अलग विधेयक संसद में पेश कर सकती है। जानकारी के मुताबिक, बीते शुक्रवार को मंत्रिमंडल ने वक्फ अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों पर चर्चा की है। सूत्रों का कहना है कि इसमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने वाले कई संशोधन हैं। कई कानूनविद् भी वक्फ को दिए गए अधिकारों को मनमाना मानते हैं। यही कारण है कि अब केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के इस प्रकार के ‘असीमित’ अधिकारों पर लगाम लगाना चाहती है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार बोर्ड के ऐसे अधिकारों एवं प्रावधानों को नियंत्रित करना चाहती है।
वक्फ बोर्ड के पास देश भर में खरबों रुपये की संपत्ति गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड के पास देश भर में खरबों रुपये की संपत्ति है। प्रस्तावित संशोधनों के अंतर्गत किसी संपत्ति को लेकर वक्फ बोर्ड के दावों का वेरिफिकेशन किया जा सकेगा। ऐसी संपत्तियों के लिए अनिवार्य वेरिफिकेशन भी प्रस्तावित हो सकता है जिनके लिए वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत तौर पर अलग-अलग दावे हैं।