हमे कॉलेज से नहीं मिली मदद तो किया कोर्ट का रुख याचिका में छात्राओं ने कहा कि कॉलेज का प्रतिबंध मनमाना है। इस ड्रेस कोड के तहत छात्राओं को कैंपस में हिजाब पहनने पर रोक लगा दी गई है। याचिकाकर्ता छात्राओं का दावा है कि नया ड्रेस कोड गोपनीयता, गरिमा और धार्मिक स्वतंत्रता के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। कॉलेज की एक छात्रा जैनब चौधरी ने कहा कि कॉलेज में कोई हमारी मदद नहीं कर सका, ऐसे में हमें बस कोर्ट का रास्ता नजर आया। हमें उम्मीद है की कोर्ट से फैसला हमारे हक में होगा।
मैनेजमेंट से भी नहीं मिली मदद कॉलेज की एक अन्य छात्रा उम्मुल वरा ने कहा कि जब ड्रेस कोड की बात आई, तो हमने प्रिंसिपल से बात करने की सोची। उस वक्त मैं नहीं थीं, मेरी दोस्त प्रिंसिपल से बात करने के लिए गईं। हमने उनसे कहा कि हम ड्रेस कोड को फॉलो नहीं कर पाएंगे। उन्होंने हमें साफ कह दिया कि ड्रेस कोड फॉलो करना पड़ेगा। इसके बाद मैनेजमेंट से बात हुई। वहां से भी हमारे हक में कुछ नहीं आया। अब कक्षाएं भी शुरू हो गईं हैं। हमारे ऊपर प्रेशर है। हमें बुर्के में क्लास में बैठने को मना कर दिया गया है। हमारे पास अंतिम विकल्प कोर्ट ही बचा था।
नकाब उतारना मामूली बात नहीं बीएससी की छात्रा खान अंजोन ने कहा कि हम सीधे हाईकोर्ट नहीं गए हैं। हमने पहले जितनी कोशिश करनी थी, वो की, जब हमें कोई विकल्प नहीं मिला, तो हाईकोर्ट का रुख किया। हमारे लिए नकाब उतारना मामूली बात नहीं है। इसलिए इस मुद्दे को हम कोर्ट तक लेकर जा रहे हैं।