पंजाब में AAP सरकार लगातार बड़े फैसले ले रही है। शुक्रवार को पंजाब विधनसभा की स्पेशल कार्यवाही शुरू हो गई है। इस दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केन्द्रीय सेवा कानून लागू करने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया।
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मुख्यमंत्री मान ने केंद्र सरकार पर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन में ‘संतुलन को बिगाड़ने’ की कोशिश करने का आरोप लगाया। मान ने मांग की चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब ट्रांसफर किया जाए। इसी कड़ी में सीएम मान ने अपने जारी प्रस्ताव में कहा कि पंजाब, रीऑगेर्नाइजेशन एक्ट 1966 के दौरान नया बनाया गया था, इस एक्ट के दौरान हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्से को हिमाचल को दिया गया था।
उसी वक्त चंडीगढ़ को यूटी के रूप में स्थापित किया गया, तब से लेकर अब तक BBMC जैसे संयुक्त एसेट को चलाए रखने के लिए पंजाब-हरियाणा से अनुपात के आधार पर कर्मचारियों को रखकर उनकी मैनेजमेंट चलाई जा रही थी।
बता दें कि, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियम लागू करने के केंद्र के हालिया फैसले पर पंजाब में आप, कांग्रेस और शिअद ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त दी। इनमें कई नेताओं ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के नियमों में बदलाव के बाद यह पंजाब के अधिकारों के लिए एक और बड़ा झटका था।
क्या बोले थे अमित शाह?
इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इस कदम से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को बड़े पैमाने पर लाभ होगा, क्योंकि उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़कर 60 वर्ष हो जाएगी और महिला कर्मचारियों को वर्तमान एक वर्ष के बजाय दो साल की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी।
ये है मामला
दरअसल पंजाब विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद पंजाब की अपनी पहली यात्रा में, गृह मंत्री अमित शाह चंडीगढ़ पहुंचे थे। इस दौरान अमित शाह ने एक बड़ा एलान किया था। शाह ने कहा था कि अब चंडीगढ़ के मुलाजिमों पर पंजाब की जगह केंद्रीय सर्विस नियम लागू होंगे।
इसके चलते मुलाजिम अब 60 साल की उम्र में सेवा मुक्त होंगे। जबकि महिलाओं को चाइल्ड केयर के लिए एक साल की जगह छुट्टी 2 साल तक की गई।
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