लाश बरामदगी के बाद पोस्टमार्टम में पता चलता है कि लड़की के साथ गैंगरेप हुआ। साथ ही उसे कई और तरह की यातनाएं दी गई। आरोपियों ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसकी हत्या कर दी थी। जांच में सामने आया कि लड़की के साथ गैंगरेप करने के अलावा आरोपियों ने उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा था। लड़की के चेहरे और आंखों पर तेजाब डाला गया था। उसे कार में मौजूद औजारों से बुरी तरह पीटा। 19 साल की लड़की के साथ हुई इस दरिंदगी को छाबला गैंगरेप केस के नाम से जाना जाता है।
आज दिल दहला देने वाली इस घटना के करीब 10 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस के तीन दोषियों को रिहा कर दिया है। जिन तीन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किया, उसे दिल्ली की अदालत ने गैंगरेप और हत्या के जुर्म में फांसी की सजा दी थी। दिल्ली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वहशी दरिंदो को रिहा क्यों किया, यह वो सवाल है जो इस केस से जुड़े लोगों के साथ-साथ और लोग भी जानना चाहते हैं।
सोमवार को शीर्ष अदालत ने छाबला गैंगरेप केस के तीनों आरोपी रवि, राहुल और विनोद को बरी कर दिया है। अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित और एस रवींद्र भट्ट और बेला एम त्रिवेदी ने इस मामले पर 6 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रखा था।
दिल्ली सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की थी। लेकिन आरोपियों के वकील ने दोषियों के सुधार आने की संभावना पर विचार करने का भी अनुरोध किया था। कोर्ट को यह दलील दी गई कि दोषियों में से एक जिसका नाम विनोद है वह बौद्धिक रूप से अक्षम है।
इधर मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता के साथ इस कदर दरिंदगी एक आरोपी से मिले दोस्ती के प्रस्ताव को ठुकराने के कारण की गई थी। मीडिया रिपोर्ट की माने तो दिल्ली पुलिस के अनुसार अभियोजन पक्ष ने कहा था कि रवि कुमार ने अन्य दो आरोपियों की मदद से अपराध को अंजाम दिया, क्योंकि लड़की ने रवि कुमार के दोस्ती के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।