साथ ही उन्होंने पेंशन को लेकर कहा कि सबसे पहले इन्होंने कर्मचारियों की पेंशन खत्म की। हमने पुरानी पेंशन योजना लागू की तो केंद्र के पास जमा कर्मचारी अंशदान का पैसा नहीं लौटा रहे हैं। ये वन रैंक-वन पेंशन की बात करते थे, अब नो रैंक-नो पेंशन पर आ गए। जब कोई रैंक ही नहीं है तो पेंशन भी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, “आदमी 58 साल में 60 साल में 62 साल में रिटायर होता था। तब तक वे दादा-नाना बन चुके होते थे। अब तो शादी के कार्ड में लिखेगा भूतपूर्व अग्निवीर। 21 साल में ही वह भूत हो जाएगा। छह महीने की ट्रेनिंग और साढ़े तीन साल सर्विस के बाद उनको रिटायर करके क्या देंगे? 12 लाख रुपए। शादी किए, रिसेप्शन में ही 12 लाख खत्म हो जाएंगे।”
सीएम ने आगे कहा, “ये उन देशों के साथ तुलना करते हैं जहां जनसंख्या कम है। कोई सेना में जाना नहीं चाहता। वहां अनिवार्य करना पड़ता है। यहां जनसंख्या की भी कमी नहीं है और सेना में जाने के लिए भी लोग लालायित रहते हैं। यही कारण है कि भारत की जो सेना है उसकी पूरी दुनिया में एक धाक है। उसका लोहा मानते हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी यहां की सेना लड़ती है। अब उसका भी राजनीतिकरण कर रहे हैं। सरकार की नीति है और तीनों सेनाओं के चीफ से बचाव में बयान दिलवा रहे हैं।”
मुख्यमंत्री बघले ने अग्निपथ योजना के तहत जवानों की 6 महीने के प्रशिक्षण अवधि को भी अपर्याप्त बताते हुए कहा, “6 महीने की ट्रेनिंग में तो मार्चपास्ट सीखने में लग जाएंगे। लेफ्ट-राइट में पैर कितना उठना चाहिए, उसको सीखते-सीखते और यूनिफार्म पहनना सीखने में 6 महीने हो जाएंगे। पुलिस के जवान का यूनिफार्म और सेना के यूनिफॉर्म में भी बहुत अंतर है। उसको पहनना सीखने में छह महीना बीत जाएगा।”
सीएम ने कहा जिन लोगों ने परमवीर चक्र प्राप्त किया है, सेना के भूतपूर्व अधिकारी हैं वे लोग कह रहे हैं कि यह सेना के लिए घातक है। सेना के लिए घातक है तो समझ लें कि सीमा के लिए भी नुकसानदेह है। उन्होंने रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा, “आज रूस की क्या स्थिति है। उनके पास अस्त्र-शस्त्र की कमी नहीं है, लेकिन उसके ठेके के जो सैनिक हैं वे उसे चला नहीं पा रहे हैं। इस कारण यूक्रेन जो एक प्रकार से निहत्था है, उसपर कब्जा भी नहीं कर पाए हैं। लड़ भी नहीं पा रहे हैं ठीक से। आपके पास हथियार होने से क्या होता है। चलाना भी तो आना चाहिए।”
बता दें, केंद्र सरकार ने 14 जून को सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई योजना शुरू की। नई योजना के तहत जवानों की भर्ती चार साल के लिए की जाएगी। चार साल बाद 25 फीसदी जवानों को रखा जाएगा और बाकी को 11.71 लाख रुपये के पैकेज के साथ वापस भेजा जाएगा। वे किसी भी पेंशन और ग्रेच्युटी लाभ के हकदार नहीं होंगे।