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Nepotism in politics: वंशवाद के मामले में लालू और मुलायम से आगे निकले चंद्रबाबू नायडू, जानिए कैसे?

Nepotism in politics: अगर देश में परिवारवाद की राजनीति का उदाहरण देखा जाए तो सबसे ताजा उदाहरण आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू का है।

हैदराबादJun 13, 2024 / 02:49 pm

Prashant Tiwari

देश की राजनीति में जब भी परिवारवाद का जिक्र होता है तो आम से लेकर खास लोग उत्तर प्रदेश के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के नाम का जिक्र करते हैं। लेकिन यहीं लोग दक्षिण भारत से आने वाले कई राजनीतिक परिवारों का जिक्र करना भूल जाते हैं। अगर देश में परिवारवाद की राजनीति का उदाहरण देखा जाए तो सबसे ताजा उदाहरण आंध्र प्रदेश के नए मुख्यमंत्री और तेलगू देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू का है। वह एक दो बार नहीं बल्कि 4 बार सूबे के सीएम बन चुके हैं।   
ससुर से बगावत कर सीएम बने नायडू

चंद्रबाबू नायडू आज जिस टीडीपी के सर्वेसर्वा हैं, वह उनके ससुर एनटीआर की बनाई हुई है। अपने ससुर की विरासत पर खड़े चंद्रबाबू ने 1995 में एनटीआर का तख्तापलट कर दिया था। चंद्रबाबू टीडीपी विधायकों के समर्थन से अपने ससुर को हटाकर पहली बार मुख्यमंत्री बने और पार्टी की कमान भी अपने हाथों में ले ली। चंद्रबाबू नायडू के इस कदम के पीछे असल वजह क्या थी, ये वही जानें लेकिन चर्चा इस बात की होती है कि वह एनटीआर की दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती की पार्टी और सरकार में बढ़ती दखलंदाजी से नाराज थे। 
Chandrababu Naidu overtakes Lalu and Mulayam in dynasty politics
खुद मुख्यमंत्री बेटे को बनाया मंत्री

आंध्र प्रदेश की राजनीति में बड़ा उलट फेर कर सत्ता में आने के बाद टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने न सिर्फ खुद मुख्यमंत्री पद की शपथ ली बल्कि अपने बेटे नारा लोकेश को भी कैबिनेट मंत्री बना दिया। एक क्षेत्रीय दल के तौर नायडू के इस कदम के दूरगामी परिणाम भी राजनीति के इतिहास में दर्ज किए जाएंगे। पिता चंद्रबाबू के नेतृत्व में बेटे लोकश पार्टी के साथ-साथ सरकार चलाने की बारीकियों को भी समझेंगे। हालांकि देश की राजनीति के लिए यह कोई नई या पहली घटना नहीं है।
Chandrababu Naidu overtakes Lalu and Mulayam in dynasty politics
बेटों को सत्ता सौंपने के बाद नहीं लिया कोई पद

चंद्रबाबू से पहले कई क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने ऐसा किया है। इनमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एस के स्टालिन, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का नाम शामिल है। इन सभी नेताओं ने अपनी कैबिनेट में अपने बेटों को मंत्री बनाया। लेकिन इससे उलट बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम पर परिवारवाद को लेकर लगातार आरोप लगाए जाते रहे लेकिन इन दोनों ही नेताओं ने अपने मुख्यमंत्री पद पर बने रहने तक कभी भी अपने बेटों को मंत्री नहीं बनाया या सरकार में कोई पद नहीं दिया।
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