गुरुवार शाम में भी राज्यपाल से मिले थे चंपई
मंगलवार से ही झारखंड में खूब सियासी सरगर्मी रही। एक समय कयास लगाये जा रहे थे कि बिहार की तरह यहां भी सत्ता पलट सकती है। हेमंत सोरेन के परिवार से ही बगावती सुर उठने लगे थे। इसी बीच गुरुवार को शाम में चंपई सोरेन राज्यपाल से मिले थे और सरकार बनाने के लिए उनके दावे को जल्द से जल्द स्वीकार करने का आग्रह किया किया।
सी.पी.राधाकृष्णन से मिलने के बाद चंपई सोरेन ने बताया था कि राज्यपाल ने झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही इस मामले पर निर्णय लेंगे। राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात के बाद चंपई सोरेन ने कहा था कि हमने राज्यपाल से जल्द से जल्द निर्णय लेने का अनुरोध किया क्योंकि झारखंड में 20 घंटे से अधिक समय से कोई सरकार नहीं है।
जानिए चंपई सोरेन के बारे में
चंपई सोरेन झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन के अनन्य सहयोगी रहे हैं। कई मौकों पर सीएम हेमंत सोरेन को इनका पैर छूते हुए भी देखा गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झामुमो में इनकी अहमियत कितनी है।
कहा यह भी जाता है कि चाहे मामला सरकार का हो या पार्टी का, अहम विषयों पर हेमंत सोरेन इनसे सलाह-मशवरा जरूर करते रहे हैं। चंपई सोरेन को लोग ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी बुलाते हैं। चंपई ने 1991 में पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। वो जीत इसलिए बड़ी थी क्योंकि उन्होंने कद्दावर झामुमो सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी को हराया था।
बाद में 1995 में झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन, वर्ष 2000 में बीजेपी के अनंतराम टुडू से चुनाव हार गए थे। इसके बाद वर्ष 2005 से लगातार सरायकेला से विधायक रहे हैं। 2019 में इन्होंने भाजपा के गणेश महली को हराया था।
चंपई सोरेन का जन्म सरायरकेला के जिलिंगगोड़ा में 1956 में सेमल सोरेन और माधव सोरेन के घर हुआ। अपने तीन भाइयों और एक बहन में ये सबसे बड़े हैं। शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो ये मैट्रिक पास हैं। इनकी शादी मानको सोरेन से हुई है और इनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।