चंपई सोरेन का आज ही होगा शपथ ग्रहण
हेमंत सोरेन के इस्तीफा के बाद चंपई सोरेन विधायक दल के नेता चुने गए। आज ही उनका शपथ ग्रहण है। चंपई सोरेन को अगले 10 दिन में बहुमत साबित करना होगा। बता दें कि सत्ताधारी विधायकों ने दो बार राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन से मुलाकात की थी। वीडियो जारी कर और समर्थन पत्र के जरिए 43 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा किया गया।
नाम आगे क्यों किया गया
जब झारखंड के सियासी गलियारों में खबर चलने लगी की कल्पना सोरेन ही हेमंत सोरेन की जगह लेंगी तब उनके घर में ही बगावत शुरू हो गयी और उनकी भाभी सीता सोरेन ने अपना राग अलापना शुरू कर दिया कि सीएम की कुर्सी पर पहला हक़ उनका है। यही कारण है कि चंपई सोरेन का तजुर्बा और सोरेन परिवार से उनकी नजदीकी को देखते हुए उनका नाम आगे किया गया। चम्पई को अगला सीएम बना सोरेन परिवार ने अंतिम समय में डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास किया है।
जानिए चंपई सोरेन के बारे में
चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सुप्रीमो शिबू सोरेन के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। कई मौकों पर पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को इनका पैर छूते हुए भी देखा गया है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झामुमो में इनकी अहमियत कितनी है।
जानकर बताते हैं कि चाहे मामला सरकार का हो या पार्टी का, अहम विषयों पर हेमंत सोरेन इनसे सलाह-मशवरा जरूर करते रहे हैं। चंपई सोरेन को लोग ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी बुलाते हैं। चंपई ने 1991 में पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। वो जीत इसलिए बड़ी थी क्योंकि उन्होंने कद्दावर झामुमो सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी को हराया था।
बाद में 1995 में झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन, वर्ष 2000 में बीजेपी के अनंतराम टुडू से चुनाव हार गए थे। इसके बाद वर्ष 2005 से लगातार सरायकेला से विधायक रहे हैं। 2019 में इन्होंने भाजपा के गणेश महली को हराया था।
चंपई सोरेन का जन्म सरायरकेला के जिलिंगगोड़ा में 1956 में सेमल सोरेन और माधव सोरेन के घर हुआ। अपने तीन भाइयों और एक बहन में ये सबसे बड़े हैं। शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो ये मैट्रिक पास हैं। इनकी शादी मानको सोरेन से हुई है और इनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।