इसी की चलते अब केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने कोयले की कमी के 4 कारण बताएं हैं। आइए नज़र डालते है इन कारणों पर। 1. कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था :- कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में ऊर्जा मंत्रालय ने बताया कि अर्थव्यवस्था को सुधारकर वापस पटरी पर लाने के लिए देशभर में फैक्ट्रियों और प्लांट्स को फिर से बड़े पैमाने पर शुरू किया गया। इससे बिजली का इस्तेमाल और मांग में भी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई। देशभर में बिजली की खपत बढ़ गई, जिससे कोयले का इस्तेमाल भी बढ़ा। 2019 में अगस्त-सितम्बर महीने में देश में बिजली की कुल खपत 106.6 बिलियन यूनिट थी। 2021 में यह खपत बढ़कर 124.2 बिलियन यूनिट हो गई है। इस वजह से कोयले की मात्रा में भी कमी देखने को मिल रही है।
यह भी पढ़े – देश डूब सकता है अंधेरे में, खत्म हो रहा कोयले का स्टॉक 2. बारिश से कोयला उत्पादन पर असर :- इस साल बारिश की वजह से भी कोयला उत्पादन पर असर पड़ा है। सितम्बर महीने में हुई बारिश जिसकी उम्मीद नहीं थी, उस वजह से जगह-जगह कोयले की खदानों में पानी भर गया। इस वजह से कोयले के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा, जिससे कोयले की कमी देखने को मिल रही है।
3. कोयले के आयात मुल्य में बढ़ोतरी :- पिछले कुछ समय से कोयले को बाहरी देशों से आयात करने की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कोयले का आयात कम हुआ और देश में कोयले की ज़रूरत के लिए घरेलू कोयले के स्त्रोतों पर निर्भरता बढ़ी है। इस वजह से भी कोयले की मात्रा में पिछले कुछ समय से कमी देखने को मिली है।
4. मानसून की शुरुआत में कोयले का पर्याप्त स्टॉक जमा नहीं कर पाना :- बारिश के मौसम में कोयले के उत्पादन में परेशानी होती है। ऐसे में कोशिश यहीं रहती है कि मानसून शुरू होने से पहले ही कोयले का पर्याप्त स्टॉक जमा कर लिया जाए। पर इस साल ऐसा नहीं हो पाया। मानसून से पहले कोयले का पर्याप्त स्टॉक जमा नहीं हो पाया, साथ ही मानसून शुरू होने के बाद बारिश की वजह से भी कोयले के उत्पादन में कमी आई। इस वजह से पिछले कुछ समय से देश में कोयले की समस्या देखने को मिल रही है।