वायरल वीडियो मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने का अनुरोध
जिस मोबाइल से इस वीभत्स घटना को रिकॉर्ड कर वायरल किया गया था, उसे पुलिस बरामद कर चुकी है। इसके साथ ही वीडियो बनाने वाला व्यक्ति भी हिरासत में है। बता दें कि मणिपुर के कांगपोकपी जिले में चार मई को दो आदिवासी महिलाओं को नग्न कर घुमाने के संबंध में अबतक आठ लोगों की गिरफ्तारी हुई है। समाचार एजेंसी ANI ने ट्विट में बताया था कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर वायरल वीडियो मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर कराने का भी अनुरोध करेगी।
19 जुलाई को उबल पड़ा पूरा देश
मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच 19 जुलाई की शाम को एक वीभत्स घटना का वीडियो वायरल हो गया। जिसमें दरिंदो की एक भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया जा रहा था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता था की दोनों महिलाएं कितनी असहाय थीं। जैसे ही यह वीडियो सामने आया पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। हर जगह इन दरिंदों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। जिसके बाद इस केस को CBI को सौंपने का फैसला लिया गया ताकि जल्द से जल्द सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।
भारतीय सेना ने की थी AFSPA की मांग
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के बीच सेना ने AFSPA (आर्म्ड फोर्स स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट) की मांग की थी। मणिपुर में भारतीय सेना और असम राइफ़ल की टुकड़ियां मौजूद हैं। लेकिन AFSPA ना होने की वजह से सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई एक्शन नहीं ले पा रही है। इसलिए इसकी मांग की जा रही है।
मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में 145 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 3500 लोग घायल हैं। हालात पर काबू पाने के लिए मणिपुर में इस समय मुख्यमंत्री के कहने के बाद 3 मई से लेकर अभी तक भारतीय सेना और असम राइफ़ल की कुल मिलाकर 123 टुकड़ियां तैनात की गई हैं। लेकिन आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट (AFSPA) ना होने की वजह से पूरी ताकत के साथ सेना मणिपुर में लॉ एंड ऑर्डर सम्भाल तो रही हैं लेकिन कोई कड़ा एक्शन नहीं ले पा रही।
पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 145 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।