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सीबीआई को भ्रष्ट अफसरों पर मुकदमों की इजाजत का इंतजार, CVC भी लाचार, पढ़े पूरी रिपोर्ट

CVC report: केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने 212 मामलों में सीबीआई को भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए 543 अफसरों व कार्मिकों पर अभियोजन स्वीकृति लंबित है।

नई दिल्लीSep 20, 2024 / 02:31 pm

Shaitan Prajapat

CVC report: पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने कभी कहा था कि सत्ता का चरित्र एक जैसा होता है। भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे अफसरों पर मुकदमा चलाने की अनुमति (अभियोजन स्वीकृति) देने के मामले में स्व.वाजपेयी की यह बात सही साबित होती है। इस मामले में केंद्र और राज्य में किसी भी दल की सरकारें पीछे नही हैं। केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और राज्य सरकारों ने 212 मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए 543 अफसरों व कार्मिकों पर अभियोजन स्वीकृति लंबित है। सीबीआई के कामकाज पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इनमें राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की सरकारों में अभियोजन स्वीकृति के 41 मामले शामिल हैं जिनमें 149 अधिकारी भ्रष्टाचार के दोषी पाए गए हैं।

वित्त मंत्रालय में सबसे ज्यादा मामले

सीवीसी की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार में वित्त मंत्रालय के विभिन्न विभागों में अभियोजन स्वीकृति के सबसे ज्यादा 75 मामले लंबित हैं जिनमें 197 भ्रष्ट अफसर-कार्मिक फंसें हैं। इनमें वित्तीय सेवा विभाग के 53 मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति लंबित है। वित्त मंत्रालय के बाद रक्षा, रेल, शिक्षा तथा कार्मिक मंत्रालयों में लंबित मामलों की संख्या अपेक्षाकृत ज्यादा है।

तीन माह में जरूरी, 81 मामले उससे पुराने

रिपोर्ट के मुताबिक नियमों के अनुसार सीबीआइ से प्रस्ताव भेजे जाने के बादअधिकतम तीन माह में अभियोजन स्वीकृति देने का प्रयास किया जाना चाहिए लेकिन लंबित मामलों में 249 अधिकारियों के खिलाफ 81 मामले तीन माह की अवधि से अधिक पुराने हैं।

सीवीसी की सलाह को भी मंत्रालय कर देते दरकिनार

सीवीसी ने दिसंबर 2023 तक की जारी रिपोर्ट में उन मामलो का भी जिक्र किया है जिनमें जांच में दोषी पाए गए अफसरों के खिलाफ आयोग की सिफारिशों को भी दरकिनार कर दिया गया। इनमें विभिन्न मंत्रालयों और केंद्र सरकार के अधीन संस्थाएं (पीएसयू-बैंक आदि) शामिल हैं। सीवीसी केंद्रीय मंत्रालयों और पीएसयू-बैंकों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (सीवीओ) के जरिये भ्रष्टाचार व अनियमितताओं पर नजर रखता है।

सीवीसी की लाचारी के उदाहरण

1.सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड (सीसीएल) के पांच मुख्य प्रबंधकों को भूमि आवंटन में गंभीर अनियमितताओं और ठेकेदारों को बिना अधिकार के अनुमति देने का जिम्मेदार पाया गया। सीवीसी ने पांचों वरिष्ठ अधिकारियाें पर बड़ी शास्ति लगाने की दो बार सलाह दी लेकिन विभाग ने चार मुख्य प्रबंधकों को दोषमुक्त कर दिया।
2.नेशनल फर्टिलाइजर्स के एक निदेशक को जांच में थोक डीलरों की नियुक्ति में अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाया गया। सीवीसी ने निदेशक के खिलाफ दो बार बड़ी शास्ति की कार्रवाई की सलाह दी लेकिन विभाग के अनुशासनिक अधिकारी ने उसे दोषमुक्त कर दिया गया।
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3.स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में एक एजीएम और चीफ मैनेजर ने अधिकार सीमा के बाहर जाकर टेंडर जारी किए और प्रक्रिया में गड़बड़ी की। सीवीसी ने बड़ी शास्ति की सिफारिश की लेकिन विभाग के अपील अधिकारी ने दोषी अफसरों को चेतावनी देकर छोड़ दिया।
4.भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण में एक महाप्रबंधक सहित छह अधिकारियों को टेंडर में गड़बड़ी का दोषी पाए जाने पर शास्ति की सलाह दी गई लेकिन विभागीय अपीलीय अधिकारी ने शास्ति रद्द कर दी।

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देरी से भ्रष्ट अफसरों को मिलता है फायदा

सीवीसी ने कहा है कि कुछ संगठन आयोग की सलाह पर अमल करने और आरोपी अधिकारी को चार्जशीट जारी करने में देरी करते हैं। इससे कई मामलों में दोषी अधिकारी सेवानिवृत्त हो जाता है और समय सीमा चूकने के कारण कोई भ्रष्ट अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती।


केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों में अभियोजन स्वीकृति के लंबित मामले

प्रमुख राज्य सरकारों/यूटी में लंबित मामले

राज्य—-मामले—-शामिल अधिकारी
महाराष्ट्र–3—41
उत्तर प्रदेश–10—31
प.बंगाल–4—25
जम्मू-कश्मीर–4—19
पंजाब–4—6
मध्यप्रदेश–1—1
राज्यों/यूटी में कुल—41—149

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