केंद्रीय एजेंसी ने पहले चंदा कोचर, उनके पति और वीडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत के साथ-साथ नूपावर रिन्यूएबल्स, सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे है।
खबरों के मुताबिक, 59 वर्षीय चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में आईसीआईसीआई बैंक के सीईओ और प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया था। आरोप लगाया गया था कि उन्होंने वीडियोकॉन ग्रुप, एक उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और तेल और गैस अन्वेषण कंपनी का बैंक की उधार प्रथाओं में पक्ष लिया था।
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आरोप है कि चंदा कोचर के सीईओ रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन कंपनी को बड़ा लोन दिया था। इसके बाद वीडियोकॉन कंपनी ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यू रिन्यूएबल को 64 करोड़ रुपये का लोन दे दिया था। उस समय वीडियोकॉन कंपनी ने 3200 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन लिया था।
सीबीआई ने 2019 में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद एक बयान में कहा कि आरोपियों ने आईसीआईसीआई बैंक को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश में निजी कंपनियों को कुछ ऋण मंजूर किए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोचर के पति दीपक कोचर और उनके परिवार के सदस्यों को सौदे से फायदा हुआ था।