देश की कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना कराने की मांग कर रही हैं। लेकिन जब केंद्र की मोदी सरकार ने इसे मानने से इंकार कर दिया, तब बिहार सरकार ने अपने खर्चे पर जातीय जनगणना कराया। वहीं, अब दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में भी सरकार जातीय जनगणना करा रही है। राज्य में पिछले 15 नवंबर से पिछड़ा वर्ग की जाति जनगणना करा रही है। रेड्डी सरकार ने राज्य में चल रहे जातीय जनगणना को 15 फरवरी तक पूरा करने का निर्देश दिया है।
कुछ इस तरह 15 फरवरी तक पूरा करेगी काम
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपने मंत्रियों और कार्यकर्ताओं से जातीय जनगणना के काम को तेजी से पूरा कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने एक योजना बनाकर बताई है कि ये गणना 15 फरवरी तर कैसे पूरी होगी।
घर-घर जाकर गणना: मुख्यमंत्री रेड्डी ने ग्राम वार्ड सचिवालय के कर्मचारियों को गणना करने वालों को 19 से 28 जनवरी के बीच घर-घर जाकर गिनती करेने के लिए कहा है।
छूटे हुए व्यक्तियों के लिए फिर से जुड़ने का मौका: वहीं, डोर-टू-डोर कैंपेन में छूटे लोगों 29 जनवरी से 2 फरवरी, 2024 तक गांव और वार्ड सचिवालय में अपनी जाति की जानकारी दर्ज कराने का मौका दिया है।
फरवरी के मध्य तक फाइनल रिपोर्ट: फाइनल जाति जनगणना की रिपोर्ट 15 फरवरी तक ग्राम वार्ड सचिवालय स्तर पर तैयार की जाएगी।
ट्रेनिंग और मैपिंग: सचिवालय कर्मचारियों और गणना करने वालों के लिए ट्रेनिंग 11 जनवरी तक पूरा हो जाएगा, और पर्यवेक्षकों की मैपिंग को 12 जनवरी तक अंतिम रूप दिया जाएगा।
डेटा संग्रह: जनगणना के दौरान कर्मचारी सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक और रोजगार पहलुओं पर विवरण एकत्र करेंगी।
लंबे समय से चली आ रही मांग
बता दें कि आंध्र प्रदेश भारत के उन कुछ राज्यों में से एक है जो जाति जनगणना डेटा की लंबे समय से मांग कर रही है। वहीं, अब जगन सरकार ने राज्य के लोगों की मांग को चुनावी साल में पूरा करने के लिए कदम उठाया है। खुद मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी काफी समय से जनगणना का वादा कर रही थी।
पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए जातीय जनगणना- सरकार
राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री श्रीनिवास वेणुगोपाल कृष्णा के मुताबिक, राज्य में लगभग 139 पिछड़े वर्ग की जातियां हैं और इन समुदायों के लोग अपनी संख्या बल से अनजान हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछड़े वर्ग के समुदायों को भी विभिन्न क्षेत्रों में उनके प्रतिनिधित्व के स्तर का पता नहीं है और कहा कि जनगणना इन पहेलियों को हल करेगी। पिछड़े वर्ग के समुदायों के कई प्रतिनिधियों ने जाति जनगणना के लिए अभियान चलाया था और उन्होंने उनकी संख्या नहीं जानने पर निराशा भी जताई थी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने 11 अप्रैल को विधानसभा का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिसमें जनसंख्या जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना को लागू करने के लिए कहा गया था, लेकिन पता चला कि यह जल्द ही नहीं होगा।