यूओएफए ने शुरू किया सीएए के खिलाफ आंदोलन
असम में संयुक्त विपक्षी मंच (यूओएफए) ने सीएए के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन का ऐलान किया है। मंच ने मंगलवार को कई जिलों में रैली निकाली और सीएए की प्रतियां जलाईं। मंच का कहना है कि सीएए लागू होने के बाद लाखों लोग राज्य में आ जाएंगे। दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि अगर एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करने वाले किसी व्यक्ति को नागरिकता मिल गई तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि सीएए में नया कुछ नहीं है, क्योंकि यह पहले लागू किया गया था। अब बस पोर्टल पर आवेदन करना है। वहीं भाकपा (माओवादी) ने सीएए को संविधान के मूल सिद्धांत धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन बताते हुए विरोध किया।
सीएए के खिलाफ कोर्ट में याचिका
सीएए के नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आइयूएमएल) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें कहा गया कि सीएए मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। इसके नियम धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
पड़ोसी मुल्कों से आने वाले अल्पसंख्यकों को करना होगा रजिस्ट्रेशन
दरअसल, CAA संसद से पारित हुए करीब पांच साल बीत चुके हैं। अब केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले सीएए को देश में लागू कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह अपने चुनावी भाषणों में कई बार नागरिकता संशोधन कानून या CAA को लागू करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने ऐलान किया था कि लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाएगा। CAA के तहत मुस्लिम समुदाय को छोड़कर तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले बाकी धर्मों के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। तीन मुस्लिम बहुल पड़ोसी मुल्कों से आने वाले वहां के अल्पसंख्यकों को इस पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा और सरकारी जांच पड़ताल के बाद उन्हें कानून के तहत नागरिकता दी जाएगी।