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Budget Expectations 2024: ‘बगैर पेंशन NPS स्वीकार्य नहीं’, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने और लेबर कोड को कैंसिल की उठी मांग

OPS Budget 2024: उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से Tax बोझ घटाने की रखी मांग, मजदूर संगठनों ने कहा न्यूनतम वेतन 26,000 प्रति माह से कम न हो। पढ़िए पूरी खबर-

नई दिल्लीJun 26, 2024 / 07:32 am

Akash Sharma

ट्रेड यूनियनों ने श्रम संहिताओं को खत्म करने, ओपीएस की बहाली की मांग की

Budget 2024 OPS: वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट की तैयारियां जोरों पर है। इस सिलसिले में उद्योग जगत से लेकर किसान और मजदूर संगठन के प्रतिनिधि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से मिलकर अपनी मांग रख रहे हैं। मंगलवार को विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों ने वित्त मंत्री से मुलाकत कर इनडायरेक्ट टैक्स के बोझ को कम करने और जरूरी होने पर शुल्क ढांचे को युक्तिसंगत बनाने का आग्रह किया। वहीं. सीतारमण के साथ बजट पूर्व बैठक में मजदूर संगठनों ने पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने और 4 श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांग की। ट्रेड यूनियनों ने यह भी अनुरोध किया है कि मनरेगा कवरेज मौजूदा 100 दिन से बढ़ाकर 200 दिन किया जाना चाहिए।

बगैर सुनिश्चित पेंशन NPS स्वीकार्य नहीं

ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर के अध्यक्ष के इंदुप्रकाश मेनन ने वित्त मंत्री से मजदूरों का न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26,000 रुपए महीने करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी 4 श्रम संहिताएं वापस ली जाए और पुराने 29 श्रम कानूनों को बहाल किया जाए। वहीं, भारतीय मजदूर संघ के बी सुरेन्द्रन ने कहा कि हमने कृषि संबंधित गतिविधियों को मनरेगा से जोडऩे का सुझाव दिया है। ट्रेड यूनियनों ने कहा कि बगैर सुनिश्चित पेंशन के NPS (नई पेंशन प्रणाली) स्वीकार्य नहीं है। मजदूर संगठनों ने सरकारी कांपनियों का निजीकरण रोकने का सुझाव दिया है। उनकी मांग है कि बजट का फोकस ग्रामीण विकास, एमएसएमई, बुनियादी ढांचा, निर्यात और कौशल विकास पर होना चाहिए।

उद्योग जगत की मांगे- MSME क्षेत्र के निर्माताओं को छूट मिले

निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने वित्त मंत्री से ब्याज समानीकरण योजना (इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन स्कीम) को अगले 5 वर्षों के लिए बढ़ाने का अनुरोध भी किया। यह योजना 30 जून, 2024 तक वैध है। बीते दो साल में रेपो रेट 4त्न से बढक़र 6.5% हो जाने से ब्याज दरें बढ़ गई हैं। ऐसी स्थिति में एमएसएमई क्षेत्र के निर्माताओं के लिए छूट दरों को 3 से 5% क बहाल किया जा सकता है।

शुल्क व्यवस्था की समीक्षा

रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोरसायन-उद्योग मामलों के प्रमुख अजय सरदाना ने कहा कि पेट्रोरसायन उद्योग से संबंधित चीन से आयातित वस्तुओं पर शुल्क की समीक्षा करने की जरूरत है। सरदाना ने कहा, चीन से बहुत अधिक डंपिंग हो रही है। श्री सीमेंट के चेयरमैन एच एम बांगर ने कहा कि सरकार को पूंजीगत व्यय पर अधिक खर्च करना चाहिए, ताकि सीमेंट उद्योग को लाभ हो।

इज ऑफ डूइंग बिजनेस पर जोर

सेवा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन नैसकॉम के उपाध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने कहा, हम ट्रांसफर प्राइसिंग रिजीम को आसान बनाने की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि हमारे बहुत से उद्योग इसके प्रावधान से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उन्होंने कहा, हमने कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के लिए अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता प्रणाली को मजबूत करने का सुझाव दिया है।

MSME की परिभाषा बदलने की मांग

गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष संदीप इंजीनियर ने कहा, हमने छोटे और मझोले उद्योगों (MSME) की परिभाषा बदलने और सीमित दायित्व भागीदारी (LLP) और उच्च संपदा वाले व्यक्तियों (HNI) के लिए टैक्स को युक्तिसंगत बनाने का मामला वित्त मंत्री के साथ बैठक में उठाया। उन्होंने कहा, एसएसएमई को 45 दिन में भुगतान करने का निर्देश सकारात्मक है, लेकिन हमने इसमें कुछ छूट की मांग की है।

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