सरकार ने शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो नियोक्ताओं की अपने कर्मचारियों से अपेक्षा के अनुरूप स्किल बढ़ाने और रोजगार क्षमता में सुधार का कमिटमेंट दर्शाता है। ईपीएफओ में नामांकन के आधार पर नए कर्मचारियों को मदद, रोजगार बढ़ाने वाले नियोक्ताओं को मदद जैसी योजना से नौकरियां बढ़ने की पूरी संभावना है।
शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को उद्योगों की जरूरत के हिसाब से जोड़ने से बजट यह सुनिश्चित करता है कि युवा बाजार के लिए जरूरी स्किल से प्रशिक्षित होकर उपयोगी होंगे। मुद्रा लोन की सीमा जो पहले 10 लाख थी, उसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे बड़ा लाभ होने वाला है।रोजगार सृजन के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान और नीति उत्पादकता, नवाचार और समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, जिससे विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में भारत वैश्विक नेता के रूप में अपना परचम लहराएगा।
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