आज दिखेगा साल का सबसे बड़ा सुपरमून, ‘हिरन’ से है इसका खास संबंध
साल की सबसे बड़ी खगोलीय घटनाओं में से एक ‘सुपरमून’ (Supermoon 2022) 13 जुलाई यानी आज देखा जा सकता है। दरअसल जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, तब सुपरमून दिखाई देता है। लेकन इस सुपरमून का हिरण से भी खास संबंध है। हर दिन की तुलना में आज चांद बहुत बड़ा, चमकीला और गुलाबी नजर आएगा।
Buck Supermoon Of 2022 Guru Purnima Largest Moon Will Be Seen Today
बुधवार की शाम जब आसमान में चंद्रमा उगेगा तो वह कुछ अनोखा होगा। वह साल के बाकी दिनों के मुकाबले ज्यादा बड़ा और चमकदार नजर आएगा। क्योंकि ये ‘सुपरमून’ होगा, हालांकि इसे जुलाई सुपरमून या बक सुपरमून कहा जाता है। अगर आप में से कोई इस साल के जून के महीने में सुपरमून या strawberry मून को देखने से चूक गया हो तो आपके लिए एक और अच्छा मौका है। 13 जुलाई को एक बार फिर से आप इस सुपरमून का नजारा देख सकते हैं। इस सुपरमून को buck moon भी कहा जाता है, क्योंकि इसका हिरण से खास संबंध है। बता दें कि, इससे पहले पहला सुपरमून 14 जून को दिखाई दिया था, इसे स्ट्रॉबेरी मून कहा गया था।
क्या है Buck Moon? मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी डीयर इकोलॉजी एंड मैनेजमेंट लैब के मुताबिक, जुलाई के महीने में आने वाले इस सुपरमून को Buck Moon कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि, जून- जुलाई के महीने के दौरान नर हिरन के सींग तेजी से विकसित होते हैं या बढ़ते हैं।
यही नहीं इस दौरान उनके सींग अपने सबसे बड़े आकर में भी होते हैं और इनके सींग हर हफ्ते करीब 2 -2 इंच तक बड़ते हैं। यही वजह है कि इस दौरान आने वाले सुपरमून को बक मून भी कहा जाता है।
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भारतीय समय के मुताबिक बुधवार 13 जुलाई को सुबह 5:00 बजे एड (Eastern Daylight Time) / (2:30 PM IST), चंद्रमा 2022 के लिए पृथ्वी के अपने निकटतम बिंदु पर पहुंचेगा।
14 फीसदी ज्यादा बड़ा दिखेगा सुपरमून इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होगा. उसकी दूरी धरती से सिर्फ 3,57,264 किलोमीटर रह जाएगी। सुपरमून इस दौरान अपने औसत से 14 फीसदी ज्यादा बड़ा दिखेगा। इससे पहले पहला सुपरमून 14 जून को दिखाई दिया था, इसे स्ट्रॉबेरी मून कहा गया था।
Super Moon शब्द की कैसे हुई शुरुआत? Super Moon शब्द के शुरुआत की बात करें तो वर्ष 1979 में इसकी उत्पत्ति हुई। उस दौरान ज्योतिषी रिचर्ड नोले ने इस शब्द को चलन में लाया।
उन्होंने कहा कि, जब चंद्रमा धरती के निकटतम 90 फीसदी पेरिगी के दायरों में आता है, तो इस खगोलीय घटना को सुपरमून कहा जाता है। हालांकि दुनिया भर में इसको अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है।
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