पीठ ने कहा कि कई लोग मंदिर में पैसे दान करते हैं। कई व्यवसायी भी विभिन्न मंदिरों को सालाना दान करते हैं। कोई भक्त दान को गुप्त रखना चाहता है, क्योंकि वह धार्मिक कार्य कर रहा है। पीठ ने पूर्व चीफ जस्टिस रमेश धानुका के उस फैसले का जिक्र किया, जिसमें ट्रस्ट के प्रबंधन से संबंधित मुद्दे पर विचार करते हुए कहा गया था कि राज्य को कम से कम धार्मिक ट्रस्टों को तो छोड़ देना चाहिए।
दान 400 करोड़, धर्म पर खर्च काफी कम
आयकर विभाग के वकील ने दलील दी कि सालाना 400 करोड़ रुपए से ज्यादा दान हासिल करने के बावजूद ट्रस्ट ने सिर्फ 2.30 करोड़ रुपए की मामूली राशि धार्मिक उद्देश्यों के लिए खर्च की। ट्रस्ट के वकील ने कहा, हिंदू और मुस्लिम रोजाना शिरडी मंदिर आते हैं। रोजाना पूजा की जाती है। यह कहना गलत है कि ट्रस्ट धार्मिक नहीं है।यह है मामला
आयकर विभाग ने आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (आइटीएटी) के 25 अक्टूबर, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया कि शिरडी का श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट धर्मार्थ भी है और धार्मिक भी। इसलिए यह गुुप्त दान पर आयकर से छूट का पात्र है। विभाग ने अपील में तर्क दिया कि ट्रस्ट सिर्फ धर्मार्थ है, धार्मिक नहीं। यह भी पढ़ें
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