दिल्ली में 12 सीटें है आरक्षित
दिल्ली की कुल 70 में से 12 सीटें आरक्षित हैं। वर्ष 1993 से लेकर 2020 तक हुए चुनाव में जो भी पार्टी आरक्षित सीटों को जीतने में सफल रही, वही सत्ता में पहुंची। इस पुराने ट्रेंड को देखते हुए इस बार भी तीनों दलों की कोशिश अधिक से अधिक आरक्षित सीटें जीतने की है। 2013 में पहला चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने आरक्षित 12 में से 9 सीटें जीतीं और बाद में 2015 और 2020 के चुनाव में तो क्लीन स्वीप करने में सफल रही।‘दिल्ली में करीब 17 प्रतिशत दलित हैं’
बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक़, दिल्ली में करीब 17 प्रतिशत दलित हैं। जाटव, वाल्मीकि, धोबी, रैगर, खटीक, कोली बैरवा सहित दलितों की 36 उपजातियां रहतीं हैं। ज्यादातर झुग्गियों में इनकी आबादी है। यों तो 12 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन 18 अन्य सीटों पर भी दलित मतदाता निर्णायक साबित होते हैं। पहले 13 आरक्षित सीटें हुआ करतीं थीं, लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद एक सीट कम होकर 12 रह गईं।कांग्रेस का पुराना वोट बैंक पाने का प्रयास
आम आदमी के उभार से पहले दिल्ली में परंपरागत रूप से दलित वोट बैंक पर कांग्रेस का कब्जा था। पिछले तीन चुनाव से यह वोट बैंक आप के खाते में चला गया। इस बार कांग्रेस झुग्गी बस्तियों में अपने इस पुराने वोट बैंक को हासिल करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है। दिग्गज कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ को भी इसी प्रयास के तहत मैदान में उतारा गया है।Delhi Election 2025: रिठाला से कांग्रेस प्रत्याशी के साथ चुनाव आयोग के अधिकारी ने किया दुर्व्यवहार, Congress ने की कार्रवाई की मांग
ये हैं आरक्षित सीटें
दिल्ली की ये सीटें आरक्षित हैं- मंगोलपुरी, गोकलपुर, बवाना, कोंडली, सुल्तानपुर माजरा, करोल बाग, मादीपुर, पटेल नगर, आंबेडकर नगर, देवली, त्रिलोकपुरी, सीमापुरी। यूपी सीएम योगी ने केजरीवाल को दिया चैलेंज, देखें वीडियो…Hindi News / National News / दिल्ली में दलितों पर दांव चल रहीं BJP, कांग्रेस और AAP, चुनाव में जिसने आरक्षित सीटें जीती, उसी की बनी सरकार