यह अपराध, वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हुआ था। बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और एक सांप्रदायिक हमले में उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई और सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया।
यह भी पढ़ें – आजीवन कारावास की सजा काट रहे सभी 11 दोषी रिहा, राज्य सरकार की माफी योजना के तहत जेल से आए बाहर 2008 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने सामूहिक बलात्कार और हत्या के लिए 11 लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा था। 15 अगस्त, 2022 को, गुजरात सरकार की ओर से छूट दिए जाने के बाद सभी दोषियों को गोधरा की एक जेल से रिहा कर दिया गया था।
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि गुजरात सरकार मामले में छूट पर विचार करने के लिए उपयुक्त सरकार थी और निर्देश दिया कि 2 महीने के भीतर छूट के आवेदनों पर फैसला किया जाए। इन दोषियों की समय से पहले रिहाई से व्यापक आक्रोश फैल गया।
अब CJI की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष अधिलक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने रिहाई को चुनौती दी है। यह रिहाई का मामला है। 14 लोग मार दिए गए, एक गर्भवती महिला के साथ बलात्कार किया गया।
वहीं अधिवक्ता भट्ट ने कोर्ट से मामले की सुनवाई कल यानी बुधवार को करने का आग्रह किया। इस पर बेंच ने याचिका को स्वीकार कर लिया है।
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