बिहार की नई सरकार में सबसे बड़ी भूमिका में काबिज राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भले ही अपने आप को ए टू जेड के नेता कहते हो लेकिन मंत्रीमंडल के गठन में उन्होंने राजद की पुरानी नीति पर ही अमल किया है। बिहार में राजद की पहचान यादव और मुस्लिम की पार्टी के रूप में रही है। मंत्रिमंडल गठन में इस बात को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
बिहार की महागठबंधन सरकार में जिन 31 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है, उसमें सबसे अधिक यादव जाति से मंत्री बने है। यादव बिरादरी से कुल 8 विधायकों को मंत्री बनाया गया है। जिसमें राजद से सात तो जदयू से एक विधायक है। जबकि अगड़ी जातियों का दबदबा खत्म हो गया है। इस बार अगड़ी जातियों से मात्र 6 विधायक मंत्री बनाए गए हैं। जिसमें ब्राह्मण जाति से मात्र एक, भूमिहार से दो जबकि राजपूत बिरादरी से तीन विधायक शामिल है।
बिहार की पिछली एनडीए सरकार में अगड़ी जाति के मंत्रियों की संख्या 11 थी, जो महागठबंधन की सरकार में घटकर 6 पर आ गई है। जबकि एनडीए सरकार में जिस यादव जाति से मात्र दो मंत्री थे, उनकी संख्या बढ़कर अब 8 हो गई है। अगड़ी जाति के मंत्रियों में जदयू से विजय कुमार चौधरी (भूमिहार), राजद से कार्तिक मास्टर (भूमिहार), जदयू से संजय झा (ब्राह्मण), जदयू से लेशी सिंह (राजपूत), राजद से सुधाकर सिंह (राजपूत) और निर्दलीय सुमित कुमार सिंह (राजपूत) शामिल हैं।
वहीं यादव जाति के मंत्रियों की सूची देंखे तो उसमें सबसे पहले डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव, बिजेंद्र प्रसाद यादव, सुरेंद्र प्रसाद यादव, चंद्रशेखर यादव, ललित यादव, रामानंद यादव, जितेंद्र यादव शामिल हैं। ओवर ऑल में ओबीसी-ईबीसी से सबसे ज्यादा 17, दलित- 5 और मुस्लिम समुदाय से 5 विधायक मंत्री बने हैं।