पांच वर्ष की जेल, 10 लाख का जुर्माना…
विधेयक में ऐसे कदाचार में शामिल लोगों के लिए कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, जिसमें तीन से पांच वर्ष की जेल की सजा और 10 लाख रुपए का जुर्माना शामिल है। इसके अलावा, अगर कोई सेवा प्रदाता, चाहे वह सरकारी संस्था हो या निजी एजेंसी, कदाचार में संलिप्त पाया जाता है, तो उस पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। उसे चार साल के लिए सेवाओं से निलंबित कर दिया जाएगा। आरोपी सेवा प्रदाता को परीक्षा आयोजित करने की कुल लागत का एक हिस्सा भी देना होगा। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी की ओर से प्रस्तुत विधेयक को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
सेवा प्रदाताओं से होगी लागत की वसूली
राज्य के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने सदन को बताया कि सेवा प्रदाताओं, ऐसी परीक्षा आयोजित करने वाली एजेंसियों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द, 1 करोड़ रुपये का जुर्माना, 4 साल तक की सेवाओं से वंचित करना और यहां तक कि संपत्ति जब्त करना भी हो सकता है। मंत्री ने कहा कि ऐसी परीक्षा आयोजित करने की कुल लागत का एक हिस्सा दोषी सेवा प्रदाता से वसूला जाएगा।