ऊंचाई पर उड़ने का एक अन्य फायदा यह भी है कि अगर ड्रोन अधिक ऊंचाई पर उड़ाया जाए तो वह भारत की सीमा में रहते हुए भी पाकिस्तान या चीन के भीतरी इलाकों की हलचल देख पाएगा। इस अत्याधुनिक ड्रोन को 4 मिसाइलों और लगभग 450 किलोग्राम के बम सहित लगभग 1,700 किलोग्राम वजन के साथ उड़ाया जा सकता है। इसकी रेंज 3,218 किलोमीटर है। इसकी एक बड़ी विशेषता यह भी है कि यह ड्रोन लगातार 35 घंटे तक उड़ सकता है। भारत ने ये प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में अमेरिका के साथ एक आधिकारिक डील पर साइन किए। इस दौरान भारत के रक्षा सचिव गिरधर अरमाने भी मौजूद रहे। ये घातक ड्रोन मिलने पर भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा। इसके साथ ही सीमा पर भारतीय सुरक्षा बल चीन और पाकिस्तान का और मजबूती से मुकाबला कर सकेंगे।
जानकारी के मुताबिक इस डील की कीमत करीब 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक है। ये घातक ड्रोन काफी ऊंचाई पर लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम हैं। इनका इस्तेमाल निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने में किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका की यात्रा के दौरान इस विषय पर राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की थी। अब नई दिल्ली में हुई इस डील के मुताबिक ड्रोन बनाने वाली अमेरिकन कंपनी जनरल एटॉमिक्स, ड्रोन के रखरखाव और मरम्मत के लिए भारत में केंद्र खोलेगी। इसके लिए भी भारत ने अमेरिका के साथ बाकायदा एक समझौता किया है। रक्षा विशेषज्ञ इसे एक बेहद ताकतवर ड्रोन मानते हैं। अमेरिका से एमक्यू-9बी ड्रोन की खरीद को पिछले सप्ताह ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने अपनी मंजूरी दी थी।
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिका से खरीदे जा रहे इन ड्रोन में से 15 ड्रोन नौसेना को मिल सकते हैं। वहीं, वायु सेना व थलसेना को 8-8 ड्रोन मिलेंगे। इन ड्रोन को चेन्नई के समीप आईएनएस राजाली, गुजरात में पोरबंदर, उत्तर प्रदेश में सरसावा गोरखपुर में तैनात किया जा सकता है। रक्षा जानकारों का कहना है कि इसके साथ-साथ इन मानव रहित विमानों का इस्तेमाल एयरबोर्न अर्ली वार्निंग, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में किया जा सकता है। अमेरिका के इन ड्रोन की एक बड़ी खूबी यह भी है कि यह किसी भी प्रकार के मौसम से प्रभावित हुए बिना करीब तीस से चालीस घंटे तक की उड़ान एक बार में भर सकते हैं।