कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए भेजा
इसके बाद मारन ने न्याय के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया। जिस पर कोर्ट ने ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया था। इस दौरान मारन ने कोर्ट में दावा किया था कि उन्हें 1300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इसके बाद 2018 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने स्पाइसजेट को मारन को 270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया।
इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने स्पाइसजेट को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष और धन हस्तांतरण में देरी होने पर मारन को दी गई राशि पर 18% प्रतिवर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने को भी कहा। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने मारन और स्पाइसजेट-अजय सिंह के बीच हुए शेयर बिक्री और खरीद समझौते में किसी तरह का उल्लंघन नहीं पाया ।ट्रिब्यूनल ने मारन की शेयरधारिता की वापसी की मांग और हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया।
मारन को मिलेंगे 270 करोड़
इस मामले में आज जस्टिस यशवंत वर्मा और जस्टिस धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि वह 13 फरवरी, 2023 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मद्देनजर आदेश पर रोक नहीं लगा सकती। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल जज की बेंच ने 31 जुलाई, 2023 को ट्रिब्यूनल द्वारा जारी एवार्ड को बरकरार रखा था। सिंगल जज के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने आज अंतरिम राहत आवेदन खारिज कर दिया।
हालांकि कोर्ट ने अपील पर नोटिस जारी किया। आपको बता दें कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने जुलाई 2018 में स्पाइसजेट को कलानिधि मारन को ₹270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया था। ट्रिब्यूनल ने एयरलाइन को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष ब्याज का भुगतान करने और समय पर पैसा नहीं चुकाने पर मारन की दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष ब्याज देने का भी आदेश दिया।
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