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भारत रत्न नरसिम्हा राव ने तैयार की थी राजस्थान में परमाणु बम परीक्षण की जमीन, जानिए कैसे हुआ था परीक्षण?

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा कि-मई 1996 में जब मैंने राव के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, तो उन्होंने मुझे बताया था कि बम तैयार है। मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया है।

Feb 09, 2024 / 05:08 pm

Anand Mani Tripathi

पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत रत्न देने की घोषणा की है। भारत में उदारीकरण के जनक और राजनीति के चाणक्य राव की यूं तो कई कहानियां हैं। दुनिया में भारत को आर्थिक वर्चस्व की इबारत उन्होंने जो लिखी वह आज भी कायम है। राव ने एक कहानी और भी तैयार की थी जो कि रक्षा क्षेत्र में भारत के वर्चस्व को कायम करती लेकिन वह मंशा अधूरी रह गई और उसे पूरा किया पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने…बात कर रहे हैं राजस्थान में हुए परमाणु बम विस्फोट परीक्षण की। सबसे बड़ी बात यह है कि अब दोनों ही भारत के रत्न बन चुके हैं।

राव का देहांत 23 दिसंबर 2004 को हुआ और 25 दिसंबर राव की श्रद्धांजलि सभा में परमाणु बम विस्फोट के रणनीतिकार का किस्सा सुनाया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने कहा कि-मई 1996 में जब मैंने राव के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली, तो उन्होंने मुझे बताया था कि बम तैयार है। मैंने तो सिर्फ विस्फोट किया है। राव ने अटल से कहा था-‘सामग्री तैयार है, तुम आगे बढ़ सकते हो’। इसके बाद जो हुआ हो पूरी दुनिया ने देखा।

असल में राव दिसंबर 1995 में परीक्षण की तैयारी कर चुके थे, लेकिन किसी कारण की वजह से उन्हें यह परीक्षण रोकना पड़ा था। इसके पीछे अमरीका को कारण माना गया कि उसने परमाणु विस्फोट से जुड़ी गतिविधि पकड़ ली थी। ऐसे में जब राव प्रधानमंत्री पद की कुर्सी छोड़ रहे थे तो उन्होंने अटल जी को एक पर्ची पर लिखा था कि कलाम से मिलो।

अटल जी कलाम जी को जानते नहीं थे तो पता करके उन्हें बुलाया गया। इसके बाद तत्कालीन मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और सचिव, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एपीजे अब्दुल कलाम से पर्ची का जिक्र किया तो कलाम ने उन्हें परमाणु बम विस्फोट के तैयारियां की जानकारी दी। इस बात पर अटल जी ने भी हामी भरी लेकिन 13 दिन में ही सरकार गिर गई।

इसके बाद जब मार्च 1998 में भाजपा फिर से सत्ता में वापस आई और वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो योजना ने मूर्तरूप लेना शुरू कर दिया। 11 मई 1998 को दोपहर लगभग 3:45 बजे, भारत ने तीन उपकरणों का परीक्षण किया – एक थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस (शक्ति I), एक विखंडन डिवाइस (शक्ति II) और एक सब-किलोटन डिवाइस (शक्ति III)। दो दिन बाद देश ने दो और सब-किलोटन उपकरणों- शक्ति IV और V का परीक्षण किया।

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