ऐसे किया गया फर्जी राशन कार्डों का इस्तेमाल
पहला मृतक व्यक्तियों के कार्ड, जिनके कार्ड राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने रिश्तेदारों की ओर से सूचना न दिए जाने के कारण रद्द नहीं किए थे। दूसरे प्रकार के कार्ड में वे लोग शामिल थे, जो नए इलाके में चले गए और उचित मूल्य की दुकान में अपना नाम दर्ज करा लिया। सूत्रों ने बताया कि एक बार जब वह व्यक्ति नए इलाके में नाम दर्ज करा लेता, तो पहले इलाके में उसका पुराना कार्ड अपने आप रद्द हो जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि ऑपरेटरों ने राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के एक वर्ग के सहयोग से उन पुराने कार्डों को चालू रखने में कामयाबी हासिल की।खुले बाजार में बेची गई खाद्य सामग्री
इन फर्जी कार्डों के आधार पर भारी मात्रा में खाद्य सामग्री जुटाई गई और उन वस्तुओं को खुले बाजारों में प्रीमियम कीमतों पर बेचा गया। हाल ही में, राज्य खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान उनके द्वारा रद्द किए गए राशन कार्डों का विवरण प्रस्तुत किया। विभाग ने यह भी बताया कि उचित मूल्य की प्रत्येक दुकान पर हर साल रद्द किए जाने वाले फर्जी कार्डों की औसत संख्या उस दुकान से जुड़े कुल कार्डों का 10 से 15 प्रतिशत है।जांच एजेंसी ने पाई गड़बड़ी
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पाया है कि कई मामलों में रद्द किए जाने की तिथि और किसी व्यक्ति की मृत्यु या नए स्थान पर स्थानांतरण की तिथि के बीच काफी अंतर था। उस अंतरिम अवधि के दौरान, उन कार्डों के आधार पर काफी मात्रा में खाद्यान्न उठाया गया।अधिकारियों द्वारा नहीं की गई समीक्षा
केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने पाया कि कुछ दुकानों में वास्तव में रद्द किए गए कार्डों की संख्या, रद्द किए जाने वाले कार्डों की संख्या से कम थी। अस्वीकरण: यह पोस्ट बिना किसी संशोधन के एजेंसी फ़ीड से स्वतः प्रकाशित की गई है और किसी संपादक द्वारा इसकी समीक्षा नहीं की गई है। यह भी पढ़ें
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