आरबीआई ने हाल ही दिशा-निर्देशों वाला नया सर्कुलर जारी किया है। इससे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, आवास वित्त कंपनियों, ग्रामीण सहकारी बैंकों, वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी में धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचा मजबूत होने के साथ बोर्ड और वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारियांं तय होंगी। सर्कुलर के मुताबिक हर बैंक को विशेष समिति बनानी होगी, जिसका काम बैंक में होने वाली धोखाधड़ी के मामलों पर पैनी नजर रखना होगा। समिति यह भी पता लगाएगी कि बैंकिंग व्यवस्था में कहां कमी रह गई, जिससे धोखाधड़ी हुई। बैंक में कोई खाता धोखाधड़ी की किसी गतिविधि के साथ जुड़ा है तो बैंक चेतावनी जारी करेगा और खाते को चिह्नित करेगा।
बैंकों की जिम्मेदारी
- बैंकों के पास छह करोड़ रुपए से ज्यादा के धोखाधड़ी के मामले आते हैं तो पहले इसकी सूचना सीबीआई को देनी होगी।
- इससे कम राशि वाले धोखाधड़ी के मामलों में राज्य पुलिस को सूचना देनी होगी।
- धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए बैंकों को समिति का गठन करना होगा।
- धोखाधड़ी से जुड़े बैंक खातों को चिह्नित कर सात दिन में आरबीआई को जानकारी देनी होगी।
माना जाएगा धोखाधड़ी
- धन के दुरुपयोग का मामला।
- फर्जी दस्तावेजों और उपकरणों से नकदी की निकासी।
- तथ्यों को छिपाकर किसी के साथ ठगी।
- गलत दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाकर जालसाजी।
- विदेशी मुद्रा से जुड़े धोखाधड़ी वाले लेन-देन।
- धोखाधड़ी से इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग/डिजिटल भुगतान संबंधी लेन-देन।