मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किया गया आदेश अब सोशल मीडिया में वायरल हो गया है। इसके बाद नाहरलगुन के एक्सस्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर तमो दादा ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि साइनबोर्ड से ‘बीफ’ शब्द हटाने का आदेश इसलिए जारी किया गया है, जिससे भविष्य में लोग इसे धार्मिक मुद्दा न बना लें। इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि राज्य में गोमांस खाने पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
‘बीफ’ शब्द का खुला प्रदर्शन समुदाय के कुछ वर्गों को कर सकता है आहत
बीफ शब्द पर लगाने वाले आदेश में कहा गया है कि हमारे अधिकारी भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता पर विश्वास रखते हैं। ऐसे में होटलों और भोजनालयों के साइनबोर्ड पर ‘बीफ’ शब्द का खुला प्रदर्शन समुदाय के कुछ वर्गों की भावनाओं को आहत कर सकता है, जो भविष्य में दुश्मनी पैदा कर सकता है।
आदेश नहीं मानने वालों पर होगी कार्रवाई
नाहरलगुन के एक्सस्ट्रा असिस्टेंट कमिश्नर तमो दादा ने कहा कि हमारा कार्यालय उन होटलों और भोजनालयों में कार्रवाई करेगा जो जारी की गई समय सीमा के बाद भी आदेश की अवहेलना करेंगे। उन्होंने कहा कि साइनबोर्ड से “आपत्तिजनक” शब्द हटाए, मिटाए या पेंट कर दें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो जुर्माने के साथ व्यवसाय का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी किया गया आदेश
बीफ शब्द पर प्रतिबंध का आदेश सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अरुणाचल प्रदेश में अधिकांश लोग बीफ खाते हैं इसलिए इस आदेश ने प्रदेश में हलचल पैदा कर दी है।