पतंजलि आयुर्वेद के ‘भ्रामक विज्ञापन’ मामले में बाबा रामदेव मंगलवार को भी उच्चतम न्यायालय में पेश हुए। उच्चतम न्यायालय ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम रामदेव के वकील का माफीनामा सुनने के लिए नहीं बैठे हैं। विज्ञापन पर सरकार ने आंखें क्यों मूंद रखी थीं?
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि मीडिया डिपार्टमेंट को यह नहीं पता है कि कोर्ट में क्या चल रहा है, मानो ये कोई आईलैंड है। यह केवल जुबानी बातें हैं। गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में पतंजलि ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को कंपनी के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, वह नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश से अनजान थे।
उच्चतम न्यायालय में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रही थी। इसे 17 अगस्त 2022 को एसोसिएशन ने दायर की थी। इस याचिका में कहा गया था कि
पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक प्रचार किया। पतंजलि यानी खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच में चली इस सुनवाई में बाबा रामदेव व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए उच्चतम न्यायालय पहुंचे थे। न्यायालय ने सुनवाई करते हुए कहा कि आप ने पिछले नोटिस की जवाब नहीं दिया। आखिर क्यों न कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कंटेम्प्ट का केस किया जाए। पतंजलि की ओर से एडवोकेट बलवीर सिंह और एडवोकेट सांघी ने कहा कि रामदेव कोर्ट में हैं, हम भीड़ की वजह से उन्हें कोर्ट में नहीं ला सके। इस पर जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा ठीक है, कोई बात नहीं उन्हें बुलाइए, हम पूछ लेंगे।