दो जोन में बांटा गया
अयोध्या आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर अयोध्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है। धाम की सुरक्षा को लेकर इसे दो जोन रेड और येलो में बांटा गया है। केंद्रीय एजेंसी में सीआरपीएफ, एनडीआरएफ भी तैनात की गई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ का भी सहयोग लिया जा रहा है। धाम में प्रदेश के विभिन्न जिलों के 100 से अधिक डीएसपी, लगभग 325 इंस्पेक्टर और 800 उपनिरीक्षकों को तैनात किया गया है।
11 हजार जवान तैनात किए जाएंगे
मुख्य समारोह से पहले पुलिस और अर्धसैनिक बलों के 11,000 जवान तैनात किये जाएंगे। वीआईपी सुरक्षा के लिए तीन डीआईजी, 17 एसपी, 40 एएसपी, 82 डीएसपी, 90 इंस्पेक्टर के साथ 1,000 से ज्यादा कान्सटेबल और 4 कंपनी पीएसी को तैनात किया गया है। आईजी ने बताया कि कार्यक्रम को देखते हुए और फोर्स को बढ़ाया जा रहा है। किसी भी स्थिति में चूक की कोई गुंजाइश न रहे, इसके लिए सुरक्षा कार्य में लगी सभी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय हो, इस पर भी फोकस किया जा रहा है। चाक-चौबंद रेल सुरक्षा के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालुओं को दर्शनीय स्थलों की जानकारी देने के लिए 250 पुलिस गाइड की तैनाती की गई है। 14 जनवरी को डिजिटल टूरिस्ट ऐप को लॉन्च किया जाएगा।
लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का हो रहा इस्तेमाल
धाम की सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। नगर निगम के आईटीएमएस, पुलिस के माध्यम से सीसीटीवी, कन्ट्रोल रूम एवं पब्लिक सीसीटीवी के माध्यम से पूरे शहर की निगरानी की जा रही है। इसके लिए पब्लिक सीसीटीवी के 1,500 कैमरों को आईटीएमएस से इन्टीग्रेट किया गया है। वहीं, येलो जोन में 10,715 स्थानों पर चेहरा पहचान एआई आधारित बड़ी स्क्रीनें आईटीएसमएस से इन्टीग्रेट की गई हैं।
एंटी ड्रोन सिस्टम भी तैनात
एंटी ड्रोन सिस्टम पूरी तरह से सक्रिय मोड में है। एंटी ड्रोन सिस्टम के माध्यम से अति संवेदनशील अयोध्या के रेड और येलो जोन को सुरक्षित किया गया है। इस सिस्टम के माध्यम से 5 किलोमीटर की परिधि में उड़ने वाले किसी भी ड्रोन को लोकेट किया जा सकेगा। यह एंटी ड्रोन सिस्टम इजराइल की कंपनी द्वारा निर्मित विश्व का आधुनिकतम तकनीक वाला है। इसके माध्यम से किसी भी ड्रोन को निष्क्रिय किया जा सकता है। पूरे धाम को 12 एंटी ड्रोन सिस्टम से लैस किया गया है। इसके माध्यम से जल, थल और नभ में चल रही सारी गतिविधियों को देखा जा सकता है।