Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती पर जानें भारतीय राजनीति में उनका योगदान
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में ‘सदैव अटल’ स्मारक पर उनके 100वें जन्मदिन पर पुष्पांजलि अर्पित की।
Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में ‘सदैव अटल’ स्मारक पर उनके 100वें जन्मदिन पर पुष्पांजलि अर्पित की। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी को एक ऐसे महान राजनेता के रूप में सराहा, जिनका नेतृत्व राष्ट्र को प्रेरित करता है और 21वीं सदी में भारत के संक्रमण में पूर्व प्रधानमंत्री की ओर से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया। सुशासन दिवस भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा हुआ है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था। उनकी जयंती को ही सुशासन दिवस (Sushasan Diwas) के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें और यह दिन क्यों मनाया जाता है।
अटर बिहारी वाजपेयी का शुरुआती जीवन
अटर बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते थे। इसके अलावा वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी।
अटर बिहारी वाजपेयी की शिक्षा-दीक्षा
अटल जी की BA की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया काॅलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। इसके कानपुर के DAV कॉलेज से राजनीति शास्त्र में MA की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की।उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में LLB की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे। सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2015 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
अटर बिहारी वाजपेयी को पहले चुनाव में मिली हार
अटर बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे और सन् 1968 से 1973 तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वाजपेयी ने सन् 1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् 1956 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे। सन् 1956 से 1977 तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् 1977से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।
1996 में पहली बार बने प्रधानमंत्री
आपको बता दें कि 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना में मदद की। 6 अप्रैल 1980 में बनीं BJP के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। 19 अप्रैल 1998 को पुनः पीएम पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश के अंदर प्रगति के अनेक आयाम छुए। सन् 2004 में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (NDA) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इंडिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और BJP विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6A कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे।
सुशासन दिवस का महत्व
अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर हर साल 25 दिसंबर को भारत में सुशासन दिवस मनाया जाता है। 2015 में, अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके बाद, मोदी सरकार ने वाजपेयी जी की जयंती को सुशासन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों को सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति जागरूक करना है। इसका लक्ष्य बेहतर प्रशासनिक कार्यप्रणाली और नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।