इलेक्शन कमीशन ने दिया संकेत इलेक्शन कमीशन की तरफ से लिए गए एक फैसले ने इस बात का संकेत दिया है कि अगले कुछ महीनों के दौरान घाटी में विधानसभा चुनाव हो सकता है और पांच साल के लंबे इंतजार और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सूबे को अपना पहला मुख्यमंत्री मिल सकता है। दरअसल, चुनाव आयोग ने प्रदेश में चुनाव चिह्न के आवंटन के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों से आवेदन तत्काल प्रभाव से स्वीकार करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने बताया कि इस बारे में चुनाव चिह्न (सुरक्षित अधिकार व आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 10 बी में जिक्र है। इसके तहत कोई भी रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल सदन का कार्यकाल समाप्त होने से 6 महीने पहले चुनाव चिह्न के लिए आवेदन कर सकता है।
जम्मू-कश्मीर में बहुत जल्द शुरु होगी चुनावी प्रक्रिया अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल विधानसभा भंग है। इसलिए निर्वाचन आयोग ने एक बयान जारी कर चुनाव चिह्नों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उन्होंने कहा कि मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों के पास अपने आरक्षित चिह्न होते हैं। इसलिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को उम्मीदवार उतारने के लिए उन्हें चुनाव चिह्न के लिए आवेदन करना पड़ता है। लोकसभा चुनावों में जम्मू-कश्मीर में मतदाताओं की भागीदारी से मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार उत्साहित हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि निर्वाचन आयोग बहुत जल्द केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
जल्द चुनाव कराने के दिए गए थे निर्देश बता दें कि 11 दिसंबर 2023 को धारा 370 को हटाने के लेकर एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले को वैध माना और जम्मू कश्मीर 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का आदेश दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर भी आदेश दिया था।