इस्तीफा देकर इन नुकसानों से बचे CM केजरीवाल
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी और सीबीआइ जांच का सामना कर रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से पहले विरोधियों को ‘इस्तीफे की गुगली’ फेंककर चौका दिया। उन्होंने कहा कि ‘अग्निपरीक्षा’ के लिए दो दिनों बाद वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। केजरीवाल के जेल में रहते निर्धारित समय से पहले महाराष्ट्र और झारखंड के साथ चुनाव की तैयारी चल रही थी। जबकि, दिल्ली में चुनाव फरवरी में निर्धारित है। कई राजनीतिक विषेशज्ञों का कहना है उनका इस्तीफा केवल सहानुभूति हासिल करने या जेल के बाद नया जनादेश हासिल करने के लिए एक राजनीतिक दांव भर नहीं है। केजरीवाल पर अन्य महत्वपूर्ण कारक राष्ट्रपति शासन का खतरा था। केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन को उचित ठहराने के लिए मौजूदा परिस्थितियों का हवाला दे सकती थी। इससे चुनाव में छह महीने तक की देरी हो सकती थी। इससे केजरीवाल को जेल से रिहा होने के बाद मिली सहानुभूति खत्म हो जाएगी। इससे इलेक्शन के दौरान जनता की सहानुभूति का लाभ उठाना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। इससे पार्टी की छवि मजबूत हो सकती है। इस्तीफा देकर केजरीवाल इन प्रशासनिक और राजनीतिक नुकसानों से बच गए हैं।कौन होगा दिल्ली का उत्तराधिकारी
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर अटकलें तेज हो गई है। केजरीवाल ने यह साफ कर दिया कि पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया भी उनके साथ ही अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए जनता की अदालत में जाएंगे। सिसोदिया इसी मामले में करीब एक माह पहले जेल से बाहर आए हैं। यानी, इन दोनों नेताओं के अतिरिक्त कोई सीएम की कुर्सी संभालेगा। सूत्रों का मानना है कि केजरीवाल पार्टी के बीच वर्चस्व की जंग से बचने के लिए अपनी धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल को आगे कर सकते हैं, लेकिन, परिवारवादी राजनीति को मुद्दा बना चुकी भाजपा को हमला करने का मौका देने से परहेज करते हुए आतिशी या सौरभ भारद्वाज पर दांव लगाया जा सकता है। हालांकि, हरियाणा चुनाव फायदा लेने के मद्देनजर जाट समुदाय से आने वाले कैलाश गहलोत की भी चर्चा शुरू हो गई है। ये भी पढ़ें: