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क्या खाप पंचायतें हो रहीं हैं Modern, पहले तो ऐसी न थीं, इन 5 तुगलकी फरमान से कांपी थी बेटियों की रुह

खाप पंचायतें आज मुजफ्फरनगर में महिला पहलवानों के हक में जुटेंगी। पर खाप पंचायतें अपने तुगलकी फरमानों के लिए मशहूर हैं। बेटियों के लिए किए गए फरमानों पर अगर एक नजर डालेंगे तो चौंक जाएंगे। फिर मन में सवाल आएगा, क्या खाप पंचायतें बदल गईं हैं। बेटियों के हक के लिए मैदान में आ गईं हैं।

Jun 01, 2023 / 11:07 am

Sanjay Kumar Srivastava

क्या खाप पंचायतें हो रहीं हैं Modern

khap panchayat changed mind भारतीय कुश्‍ती महासंघ के निवर्तमान अध्‍यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ और महिला पहलवान के समर्थन में संयुक्त किसान मोर्चा ने कमर कस ली है। खाप पंचायतें भी समर्थन में आ गईं हैं। यह खाप पंचायतें आज मुजफ्फरनगर में महिला पहलवानों के हक में जुटेंगी। पर खाप पंचायतें अपने तुगलकी फरमानों के लिए मशहूर हैं। बेटियों के लिए किए गए फरमानों पर अगर एक नजर डालेंगे तो चौंक जाएंगे। फिर मन में सवाल आएगा, क्या खाप पंचायतें बदल गईं हैं। सिर्फ बेटियों के हक के लिए मैदान में आ गईं हैं।

खाप पंचायतें राजस्थान, हरियाणा और यूपी के पश्चिमी जिलों में बहुत असर रखती हैं। खाप पंचायतों का इतिहास बहुत पुराना है। यह पंचायतें एक गोत्र या फिर एक बिरादरी के लोग, कई गोत्रों के लोग या एक गोत्र के कई गांव मिलकर बनाते हैं। खाप एक गोत्र के पांच गांवों की हो सकती है या फिर 50 से भी ज्यादा गांवों की हो सकती है। वैसे खाप पंचायत में जाटों का दबदबा रहता है।


खाप पंचायत के बनाए नियम का पालन जरूरी

खाप पंचायतें सबकी सहमति से अपने क्षेत्र में नियम-कानूनों बनाते हैं। जिसका पालन जरूरी हो जाता है। खाप पंचायतों का मुख्य रूप से तीन अहम काम हैं। पहला, विवादों को निपटाना, दूसरा, धार्मिक विश्वास की रक्षा और तीसरा, पंचायत पर खाप क्षेत्र को बाहरी आक्रमण से बचाना। अगर कोई बड़ी समस्या है तो एक ‘सर्व खाप पंचायत (बहु-गोत्र परिषद)’ बुलाई जाती है। जिस पर बैठ कर निर्णय किया जाता है।
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सोरेम में आज जुटेगी महा पंचायत

खाप शब्द का प्रयोग पहली बार 1890-91 में जोधपुर की जनगणना रिपोर्ट में किया गया था। पहले खाप की राजनीतिक इकाई को 84 गांवों के समूह के रूप में परिभाषित किया गया है। कुछ आंकड़ों के अनुसार, साल 1950 में पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर जिले के सोरेम में आजादी के बाद पहली सर्व खाप पंचायत हुई। आज पहलवानों के समर्थन में बृहस्पतिवार को मुजफ्फरनगर के सौरम में 12 साल बाद सर्वखाप पंचायत बुलाई गई है।

अब एक नजर में देखें इन पांच फैसलों को

अब एक नजर में खाप पंचायतों के तुगलकी फरमानों के बारे में जानें। फिर इसे बेटियों से जोड़े। तो सवाल उठेगा क्या वक्त के साथ-साथ खाप पंचायतें आधुनिक हो गईं हैं। जानें वो 5 फैसले….

1. लड़कियों की शादी की उम्र 15 साल की

रेप की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा की सर्व खाप जाट पंचायत ने कमर कसी। और जुलाई 2010 में एक तुगलकी फरमान जारी किया। अब लड़कियों की शादी 15 साल की उम्र में ही की जाएगी।

2. जींस, मोबाइल और इंटरनेट का यूज नहीं करेंगी लड़कियां

मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में खाप महापंचायत, जो आज सुर्खियों में है। इस खाप पंचायत ने साल 2014 में ऐलान किया कि लड़कियां जींस नहीं पहनेंगी, फोन और इंटरनेट के यूज पर भी बैन लगा दिया। ऐसा बताया गया कि घर से कुछ लड़क‍ियों के भागने में मोबाइल मददगार रहा, इस पर रोक लगने के लिए ऐसा किया गया। हरियाणा में भी बैन लगा था।

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3. बहनों से रेप और नंगा घुमाने का फरमान

खाप पंचायत के कुछ फैसले इस कदर खतरनाक होते हैं कि रूह कांप जाए। साल 2015 में बागपत में एक खाप पंचायत ने भाई की सजा उसकी बहनों को दी। भाई का अपराध था कि वह एक ऊंची जाति की महिला के साथ भाग गया था। जिसके बदले में उसकी दो बहनों के साथ रेप, और उन्‍हें निर्वस्‍त्र कर गांव में घुमाने का फरमान जारी किया गया।

4. बेटियों नाम जमीन लिखने पर बुजुर्ग महिला को समाज से निकाला

राजस्‍थान के भीलवाड़ा में एक बुजुर्ग मह‍िला ने अपनी तीन बेटियों के नाम जमीन करने की इच्छा जताई। पर महिला के ससुराल वाले इस फैसले के विरोध में थे। मामला खाप पंचायत पहुंचा। अगस्‍त 2018 में खाप पंचायत ने बुजुर्ग महिला पर 40 लाख का जुर्माना लगाया और तो और उसे समाज से बाहर निकाल दिया।

5. अ‍ंतरजातीय विवाह पर सुप्रीम कोर्ट फैसले से नाराज खाप पंचायत नेता

खाप पंचायतों के नियम बहुत ही कडे़ हैं। विवाह के मुद्दे पर तो अगर कुछ ऊंच-नीच होता है तो यह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। अ‍ंतरजातीय विवाह तो छोड़ें गांव में अगर शादी की तो उनके परिवार ही उनकी जान लेता है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, खाप पंचायत किसी व्यस्क को अ‍ंतरजातीय विवाह करने से रोक नहीं सकती। साल 2018 में इस फैसले से नाराज होकर खाप पंचायत नेता नरेश टिकैत ने कहा, अगर हमारी पुरानी परम्पराओं में हस्तक्षेप किया गया तो उसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर ऐसा होगा तो हम लड़कियां ही पैदा न करेंगें।

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