मिली जानकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश राज्य के महाधिवक्ता सुब्रह्मण्यम श्रीराम ने विवादास्पद कानूनों को वापस लेने के सरकार के फैसले के बारे में उच्च न्यायालय ( High Court ) को सूचित किया है। दरअसल लगातार राज्य की तीन राजधानी बनाए जाने को लेकर विरोध चल रहा था, हालांकि सरकार पहले इस कानून को वापस लेने के मूड में नहीं थी।
यह भी पढ़ेंः TMC के विरोध प्रदर्शन के बाद BJP ने गंगाजल से सैनिटाइज किया पार्टी हेडक्वार्टर, बताया ‘दूषित चोर’, दिल्ली में भी धरने पर बैठे सांसद आंध्र प्रदेश सरकार ने सोमवार को अपने उस कानून को वापस लेने का ऐलान किया है जिसके मुताबिक, राज्य में तीन राजधानियां बनाई जानी थी। राज्य के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने कैबिनेट के साथ आपात बैठक बुलाकर यह फैसला किया है। कैबिनेट की बैठक के बाद बीते वर्ष जून में बना कानून वापस लिए जाने का निर्णय किया गया है।
दरअसल आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास (निरसन) अधिनियम को पिछली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार ने 2015 में अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने के अधिकार को समाप्त करने के लिए पारित किया था।
विशाखापत्तनम, कुरनूल और अमरावती में कार्यकारी, न्यायिक और विधायी राजधानियों की स्थापना के लिए एपी विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम पारित किया गया था। यह भी पढ़ेंः Mumbai Cruise Ship Drug Case: बढ़ेगी आर्यन खान की मुश्किल! ये कदम उठाने जा रही NCB वहीं अब राज्य के महाधिवक्ता सुब्रमण्यम श्रीराम ने हाई कोर्ट को कैबिनेट के फैसले की जानकारी दी। दरअसल हाई कोर्ट की खंडपीठ तीन राजधानियां बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर इसी माह यानी 15 नवंबर से सुनवाई कर रही थी।
अमरावती को राजधानी बनाए जाने के लिए जिन किसानों ने अपनी 34 हजार एकड़ कृषि योग्य भूमि दी थी, उन्होंने इस कानून को कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में 100 से ज्यादा अर्जियां दायर की गई थीं।