शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने बड़ी जानकारी दी हैं। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि यह पहले जैसी सरकार नहीं है। अब आतंकवादियों को एनकाउंटर में जहां ढेर किया जाता है, वहीं पर पूरे मजहबी रिवाज के अनुसार दफन कर दिया जाता है।
अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के मरने पर जनाजे नहीं निकलते। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अब जम्मू-कश्मीर के सर्विस रूल भी बदल गए हैं। किसी भी सरकारी अफसर या उसके परिवार के आतंकवादी घटनाओं में शामिल होने पर ऐक्शन होता है और उसे नौकरी गंवानी पड़ती है।
आतंकवादी के मारे जाने पर जनाजा नहीं निकलता
आतंकवाद के मुद्दे पर सदन को जानकारी देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। 2014 से पहले आप देखते थे कि कश्मीर में किसी आतंकवादी के मारे जाने पर उसके जनाजे में भारी भीड़ उमड़ती थी। अब आतंकियों के शवों को एनकाउंटर स्थल के पास ही दफना दिया जाता है।
इससे ऐसी घटनाओं में कमी आई है कि आतंकियों के लिए रैलियां निकाली जाएं। उन्होंने कहा कि क्या आर्टिकल 370 हटने के बाद से आपने ऐसा कोई मौका देखा है। उन्होंने सवालिया अंदाज में पूछा कि आपको क्या लगता है कि पत्थरबाजी की घटनाएं कैसे कम हो गईं?
आतंकी घटनाों में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार के द्वारा नए नियम बनाए जाने के बाद उन लोगों पर शिकंजा कसने में मदद मिली है, जो घाटी में सरकारी नौकरी तो कर रहे थे लेकिन उनके परिजन पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में शामिल होते थे। हमारी सरकार में जिन लोगों का भी रिकॉर्ड संदिग्ध पाया जाता है, उन्हें पासपोर्ट नहीं दिया जाता।
नौकरी के अवसर भी नहीं मिलते और ठेके भी नहीं दिए जाते। आतंकवाद से निपटने की यह हमारी रणनीति है और इसका असर है कि घटनाओं में कमी देखी जा रही है। कश्मीर में अब पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आई है।
पत्थरबाजी करने वाले युवाओं को सरकारी नौकरी का मौका नहीं
गृहमंत्री ने बताया कि हमने पूरे राज्य में विज्ञापन निकाले हैं और उनके जरिए चेतावनी देते हैं कि यदि कोई भी युवा एक भी पत्थरबाजी की घटना में पाया गया तो सरकारी नौकरी में उसके आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा। हम जम्मू-कश्मीर के युवाओं को लेकर संवेदनशील भी हैं, लेकिन आतंकवादियों को लेकर ऐसी संवेदनशीलता नहीं रखते।