scriptWaqf Board: बोर्ड में संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत, बीजेपी नेता बोले- ‘टच मी नॉट’ की सोच से बाहर निकलना होगा | Amendment in waqf board is need of both time and Waqf bjp mukhtar abbas nakvisaid we have to come out of the thinking of touch me not | Patrika News
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Waqf Board: बोर्ड में संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत, बीजेपी नेता बोले- ‘टच मी नॉट’ की सोच से बाहर निकलना होगा

Waqf Board: अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत है और जेपीसी की बैठकों में इस पर खुले दिल से विचार होगा।

नई दिल्लीAug 21, 2024 / 05:12 pm

Paritosh Shahi

Waqf Board: केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में समाप्त हुए संसद सत्र के दौरान पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर राजनीतिक हलचल एक बार फिर बढ़ने जा रही है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विस्तार से विचार विमर्श करने के लिए बनाई गई जेपीसी की पहली बैठक गुरुवार 22 अगस्त को होने जा रही है। भाजपा के लिए यह संशोधन विधेयक बहुत ही महत्वपूर्ण है और पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि इस विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित करवा लिया जाए। हालांकि अब बहुत कुछ जेपीसी की रिपोर्ट पर भी निर्भर हो गया है। भाजपा को वक्फ ( संशोधन) विधेयक 2024 पर विरोधी दलों को ही नहीं साधना है बल्कि चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे सहयोगियों को भी बिल के समर्थन में वोट करने के लिए मनाना है।

खुले दिल से विचार होगा- नकवी

अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत है और जेपीसी की बैठकों में इस पर खुले दिल से विचार होगा। नकवी ने कहा कि वह तो पहले ही कह चुके हैं कि (वक्फ बोर्ड की पूरी व्यवस्था को ‘टच मी नॉट’ की सनक, सियासत और सोच से बाहर निकलना होगा। वक्फ व्यवस्था को ज्यादा बेहतर बनाने के लिए ही सरकार यह विधेयक लेकर आई है।

कांग्रेस और अटल जी के कार्यकाल में भी संशोधन हुए

विरोधी दलों के साथ ही सहयोगियों की तरफ से भी उठ रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि वक्फ कानूनों में कोई पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है, पहले भी इसमें संशोधन किए गए हैं। कांग्रेस के कार्यकाल में भी संशोधन हुए हैं और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान भी संशोधन हुए हैं। सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक पर बहस हो, चर्चा हो, इसकी बारीकियों का विश्लेषण हो, इसलिए ही तो इस विधेयक को जेपीसी को भेजा गया है। जेपीसी एक संवैधानिक व्यवस्था है और इसकी बैठकों में खुले दिल से इस विधेयक पर चर्चा होगी। जिस राजनीतिक दल का जो भी तर्क होगा, वो जेपीसी की बैठकों में आएगा, उस पर चर्चा होगी और सब कुछ जेपीसी की रिपोर्ट में भी आएगा।
उन्होंने इस विधेयक को कम्युनल रंग देने की कोशिशों का विरोध करते हुए कहा कि इस विधेयक को लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं, कंफ्यूजन के हालात पैदा करने की कोशिश की जा रही है और इसलिए सभी पक्षों के तर्कों पर विचार विमर्श के लिए ही इसे जेपीसी को भेजा गया है। इस विधेयक को लेकर तस्वीर जितनी साफ होगी, उतना ही यह मजहब और मुल्क दोनों के लिए अच्छा होगा।

यह संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत

उन्होंने कहा कि यह संशोधन वक्त और वक्फ दोनों की जरूरत है और यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि किसी पर कोई अटैक हो रहा है या यह बिल किसी के खिलाफ है। यह समावेशी सुधार है जिस पर साम्प्रदायिक वॉर कतई ठीक नहीं है। हिंदू और मुस्लिम दोनों ही इस मामले में स्टेकहोल्डर्स हैं और सबके सामने यह भी साफ होना चाहिए।
बता दें कि, विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बीच केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद सत्र के दौरान 8 अगस्त, 2024 को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया था। एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू, टीडीपी और शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) ने सरकार का साथ देते हुए इस बिल का समर्थन किया। हालांकि टीडीपी की तरफ से जी.एम. हरीश बालयोगी ने बिल का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि अगर इस बिल को किसी कमेटी में भेजा जाता है तो टीडीपी को कोई दिक्कत नहीं होगी।

पैनल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के 31 सांसद शामिल

सहयोगी दलों और विपक्षी दलों की मांग को स्वीकार करते हुए सरकार ने इस बिल पर विस्तार से विचार-विमर्श करने के लिए इसे जेपीसी में भेजने का प्रस्ताव रखा। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार विमर्श करने के लिए बनाए गए दोनों सदनों के इस संयुक्त पैनल में सत्ता पक्ष और विपक्ष सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के 31 सांसद शामिल किए गए हैं। इनमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसद शामिल हैं।
लोकसभा सदस्यों में जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डी.के. अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्लाह, कल्याण बनर्जी, ए. राजा, लावु श्री कृष्ण देवरायलु, दिलेश्वर कामेत, अरविंद सावंत, एम सुरेश गोपीनाथ, नरेश गणपत म्हस्के, अरुण भारती, असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।
वहीं राज्यसभा से बृज लाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधा मोहन दास अग्रवाल, सैयद नसीर हुसैन, मोहम्मद नदीमुल हक, वी विजयसाई रेड्डी, एम मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और डी वीरेंद्र हेगड़े इस जेपीसी के सदस्य हैं।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल को इस जेपीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जेपीसी की पहली बैठक कल यानी 22 अगस्त को होगी। इस पहली बैठक में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधियों द्वारा ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ और इस विधेयक में पेश किए जाने वाले प्रस्तावित संशोधनों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
इस बैठक में तमाम कानूनी पहलुओं से जुड़ी जानकारी को स्पष्ट करने के लिए कानून एवं न्याय मंत्रालय के विधान एवं कानूनी कार्य विभाग से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहेंगे। विधेयक पर विचार करने के बाद जेपीसी को संसद के अगले सत्र के पहले सप्ताह के आखिरी दिन अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

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