भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की इकाई राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी) के जोधपुर और हैदराबाद स्थित केंद्रों के वैज्ञानिकों ने नासा के उपग्रह का प्रयोग कर व्यापक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने कहा है कि भारत और श्रीलंका को जोडऩे वाला यह सेतु भारत के धनुषकोडी से श्रीलंका के तलाईमन्नार द्वीप तक 29 किलोमीटर लंबा है। यह सेतु 99.98 प्रतिशत जलमग्न है। राम सेतु के दोनों तरफ लगभग 1.5 किलोमीटर तक की शिखर रेखा अत्यधिक ऊबड़-खाबड़ है।
फोटोन कणों का किया प्रयोग
वैज्ञानिकों ने कहा है कि उपग्रह के लेजर अल्टीमीटर से फोटोन कणों को समुद्र के उथले क्षेत्रों में किसी भी संरचना की ऊंचाई मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है। नासा उपग्रह के फोटोन कण 40 किलोमीटर गहराई तक जा सकते हैं। वैज्ञानिकों ने लगभग 2 लाख फोटोन कणों को एकत्र कर डेटा हासिल किया।
सेतु के नीचे छोटी–मोटी नहरें
वैज्ञानिकों ने कहा है कि सेतु के नीचे 11 संकरी नहरें भी दिखीं, जिनकी गहराई 2-3 मीटर के बीच थी। इससे मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य के बीच पानी का मुक्त प्रवाह या आदान-प्रदान होता है। रामेश्वरम के मंदिर अभिलेखों से पता चलता है कि यह पुल सन 1480 तक पानी के ऊपर था लेकिन, एक चक्रवात के दौरान डूब गया।