आंध्र प्रदेश के लोग नई राजधानी को लेकर उत्सुक है। इस नई राजधानी का उद्देश्य प्रशासनिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में उभरना है, जो राज्य के संपूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अमरावती की इस नई भूमिका से प्रदेश के लोगों को भविष्य की ओर एक नई उम्मीद मिली है, जहां वे अपने शहर के उज्ज्वल और प्रगतिशील भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।
आंध्र प्रदेश: पिछले दस सालों का सफर
पिछले 10 वर्षों में, आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना के गठन के बाद, हैदराबाद को दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी के रूप में चुना गया था। हालांकि, यह प्रबंध 10 सालों के लिए ही किया गया था और केवल 10 वर्षों के लिए ही मान्य था, जो अब समाप्त हो चुका है। हैदराबाद, जो कि एक महत्वपूर्ण IT हब है। हैदराबाद ने आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद भी आर्थिक और प्रशासनिक स्थिरता दी है। लेकिन, यह समझौता 10 सालों के लिए ही था। जून 2024 के बाद हैदराबाद पूर्ण रुप से तेलंगाना का हिस्सा बन गया। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति ने आंध्र प्रदेश के नेताओं को एक स्थायी राजधानी की तलाश में जुटने पर मजबूर किया।चंद्रबाबू नायडू का सपना: अमरावती
चंद्रबाबू नायडू ने लंबे समय से अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने का सपना देखा है। यह सपना तब से है जब राज्य का विभाजन हुआ था और तेलंगाना राज्य बना था। विभाजन के बाद, हैदराबाद को दोनों राज्यों, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी के रूप में 10 साल के लिए बनाई गई थी। यह समय सीमा कुछ समय पहले ही खत्म हुई है, और अब आंध्र प्रदेश अमरावती को अपनी नई राजधानी के रुप में विकसित कर रहा है।चंद्रबाबू नायडू की योजना
चंद्रबाबू नायडू, जो 2014 से 2019 के बीच भी आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है, उन्होंने अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने का एक सपना देखा और उसे अब साकार करने जा रहे हैं। उनकी यह योजना केवल एक प्रशासनिक केंद्र नहीं, बल्कि एक ऐसे शहर के निर्माण का सपना है, जो आर्थिक विकास का केंद्र हो, जहां संस्कृति और शिक्षा दोनों का एक समान महत्व हो। नायडू ने अमरावती को सभी प्रमुख सरकारी कार्यालयों का केंद्र बनाने की योजना बनाई। इसमें राज्य विधानसभा, सचिवालय, और उच्च न्यायालय की स्थापना शामिल थी। आज ये सभी कार्यालय पूरी तरह से स्थापित नहीं हैं, लेकिन भविष्य की योजना में इनका निर्माण और संचालन जरुर हैं। उन्होंने अमरावती को एक वैश्विक शहर बनाने की परिकल्पना की। इसमें अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा, तकनीकी पार्क, और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र शामिल है। अमरावती को सांस्कृति और शिक्षा के हब के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई थी। इसमें प्रमुख विश्वविद्यालयों, रिसर्च इंस्टीट्यूट और सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना शामिल थी, जो न केवल स्थानीय बल्कि दुनियाभर से टैलेंट को भी आकर्षित करेगा।
क्यों अमरावती?
अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने के पीछे कई कारण हैं, जैसे…1.ऐतिहासिक महत्व: अमरावती एकन बहुत पुराना और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर है। यह शहर बौद्ध धर्म के एक महत्वपूर्ण स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
2.भौगोलिक स्थिति: यह शहर कृष्णा नदी के किनारे स्थित है, जो इसे प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थान प्रदान करता है। 3.आर्थिक संभावनाएं: अमरावती में विकास की काफी संभावनाएं हैं। इसके पास पर्याप्त जमीन और बुनियादी ढांचा है जो इसे एक उभरती हुई आर्थिक राजधानी बना सकता है।
4.पर्यावरणीय और विकासात्मक दृष्टिकोण: शहर की योजना में पर्यावरणीय संतुलन और टिकाऊ विकास का विशेष ध्यान रखा गया है, जो इसे एक आधुनिक और प्रगतिशील राजधानी बनाएगा। 5.आवश्यक सुविधाएं: एक राजधानी के रूप में, अमरावती को सभी प्रशासनिक और जन सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। इसमें राज्य विधानसभा (विधान सभा), उच्च न्यायालय, सचिवालय और विभिन्न सरकारी कार्यालयों का निर्माण किया जा रहा है। ये संस्थाएं प्रशासनिक कार्यों की देखरेख और संचालन के लिए आवश्यक हैं।
6.जनता के लिए सेवाएं: अमरावती को एक स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं, उच्च शिक्षा संस्थान, सड़कों और परिवहन के बेहतर नेटवर्क, आधुनिक आवास और मनोरंजन के साधन शामिल हैं। यह शहर निवासियों और आगंतुकों के लिए एक बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है।