कृत्रिम बारिश कराने पर विचार
देश के उत्तरी भाग में वायु प्रदूषण का बढ़ना और इससे निपटने की माथापच्ची साल-दर-साल बढ़ती जा रही है। हालांकि हर बार नतीजा ढाक के तीन पात ही रहता है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर आपात बैठक बुलाने और कृत्रिम बारिश कराने के लिए अनुमति देने की मांग की है। उन्होंने कहा हमने सबसे पहले 30 अगस्त को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। फिर 10 अक्टूबर को और फिर 23 अक्टूबर को पत्र भेजा, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। आज स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि अब हमें फिर से पत्र लिखने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। गोपाल राय ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की।सीजेआइ का आग्रह, यथासंभव वर्चुअल सुनवाई करेंः
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सभी न्यायाधीशों से यथासंभव वर्चुअल सुनवाई करने का आग्रह किया। मंगलवार सुबह जब अदालत बैठी को कई वकीलों ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वर्चुअल ऑनलाइन सुनवाई पर जोर दिया। हालांकि जस्टिस खन्ना ने कहा कि हाइब्रिड मोड में सुनवाई जारी रहेगी। यह भी पढ़ें
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थरूर का सवाल, क्या दिल्ली राजधानी बने रहने लायकः
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दिल्ली की जहरीली हवा को देखते हुए सवाल उठाया कि क्या यह देश की राजधानी बने रहने लायक है? इसके बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई लोगों ने सुझाव दिया कि देश की राजधानी को चेन्नई या हैदराबाद शिफ्ट कर देना चाहिेए जहां की हवा अपेक्षाकृत स्वच्छ है। वैसे प्रदूषण के कारण राजधानी बदले का सुझाव नया नहीं है। इंडोनेशिया ने 2022 में अपनी राजधानी जकार्ता से नुसंतारा शिफ्ट करने का फैसला किया था। इस पर काम चल रहा है और 2045 तक नई राजधानी बना ली जाएगी।पंजाब-हरियाणा सुधरे, राजस्थान-दिल्ली बिगड़े
पंजाब और हरियाणा के खेतों में किसानों के पराली जलाने की घटनाओं में पिछले पांच सालों में कमी आई है। दूसरी ओर दिल्ली और राजस्थान में किसानों के पराली जलाने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। पिछले 15 सितंबर से लेकर 17 नवंबर तक 25,108 मामले दर्ज किए गए हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के अतिरिक्त मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश भी पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं।पराली जलाने की दर्ज घटनाएं-
वर्ष पंजाब हरियाणा राजस्थान दिल्ली
2020 80, 346 3,710 1, 358 9
2021 69, 445 6, 094 865 4
2022 47,788 3,272 1,126 9
2023 33,082 2,031 1, 522 5
2024 8, 404 1,082 2, 060 12