देशभर में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। इसका बड़ा कारण शरीर में बनने वाले ब्लड क्लॉट हैं। इनकी वजह से ब्लड का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता। एआइ के इस्तेमाल से ऑपरेशन के दौरान खून कम बहता है। मरीज की रिकवरी तेजी से होती है। इस तकनीक से पल्मोनरी एम्बोलिज्म से पीड़ित मरीजों का बेहतर इलाज संभव हो सकेगा।
अब धमनियों को खोलना जरूरी नहीं
पल्मोनरी एम्बोलिज्म बीमारी में ब्लड क्लॉट फेफड़ों की धमनी में रक्त के प्रवाह को ब्लॉक या बंद कर देता है। डॉ. त्रेहान का कहना है कि एआइ तकनीक के जरिए सीने और धमनियों को बिना खोले ब्लड क्लॉट को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है। इस प्रक्रिया में 15 मिनट का समय लगता है। पहले इसके लिए बड़ा ऑपरेशन करना पड़ता था और खतरे की आशंका काफी ज्यादा रहती थी।
ताकि मरीज देख सके पूरी प्रक्रिया
सर्जरी में शामिल डॉ. तरुण ग्रोवर ने बताया कि मरीज को सांस में तकलीफ, पैर में दर्द और सूजन के बाद इमरजेंसी में लाया गया था। हमने एआइ तकनीक से उसके लंग से ब्लड क्लॉट हटाए। इसके बाद उसे दर्द व सूजन से राहत मिली। सर्जरी की यह प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है, ताकि मरीज पूरी प्रक्रिया देख सके।