अयोध्या के बाद हरिद्वार भी हारी भाजपा, जिसे बनाया प्रत्याशी उसने बनाया है हारने का रिकॉर्ड
Mangalore by-election: उत्तराखंड की मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करतार सिंह भड़ाना को 422 मतों के मामूली अंतर से पराजित किया।
लोकसभा चुनाव में अयोध्या की हार का दर्द अभी भारतीय जनता पार्टी भूल भी नहीं पाई थी, उससे पहले ही एक बार फिर से उसे ऐसा ही झटका लगा है। दरअसल, हिंदू धर्म के प्रमुख शहरों में से एक हरिद्वार की मंगलौर सीट पर 10 जुलाई को हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी मो. निजामुद्दीन विजेता घोषित हुए। भाजपा के यहां से हारने के बाद अब उसके समर्थकों में पार्टी के प्रत्याशी को लेकर नाराजगी सामने आ रही है। वहीं पार्टी ने जिस करतार सिंह भड़ाना को अपना उम्मीदवार बनाया था उनके पास एक अनोखा रिकॉर्ड है। दरअसल, भड़ाना ने अपने राजनीतिक कैरियर में अब तक कुल 11 चुनाव लड़ा है और महज 3 चुनावों में ही उन्हें सफलता मिल पाई है।
कपड़ों की तरह बदलते रहे पार्टियां बता दें कि जिस भड़ाना पर बीजेपी ने दांव लगाया था वह कपड़ों की तरह पार्टियां बदलते रहे हैं। : 1996 में पानीपत की समालखा सीट से बंशीलाल की पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए।
: 2000 में पानीपत की समालखा सीट से ही चौटाला की पार्टी से विधायक बने। : 2004 में राजस्थान की दौसा लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़े, हार गये।
: 2005 में भाजपा के टिकट पर गुड़गाँव की सोहना सीट MLA का चुनाव लड़े, हार गये। : 2009 में बसपा के टिकट पर फ़रीदाबाद की बड़खल सीट से विधायक का चुनाव लड़े, हार गये।
: 2012 में आरएलडी के टिकट पर मुज़फ़्फ़रनगर की खतौली सीट से विधायक बने। : 2014 में कैराना लोकसभा से आरएलडी के टिकट पर लड़े, हार गये। : 2017 में बागपत से आरएलडी के टिकट पर विधानसभा लड़े, हार गये।
: 2019 में बसपा के टिकट पर मध्य प्रदेश की मुरैना से लोकसभा लड़े, हार गये। : 2022 में खतौली से बसपा के टिकट पर विधानसभा लड़े, हार गये। : 2024 में भाजपा के टिकट पर हरिद्वार की मंगलोर सीट से लड़े, हार गये।
मंगलौर सीट का क्या रहा परिणाम? उत्तराखंड की मंगलौर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के करतार सिंह भड़ाना को 422 मतों के मामूली अंतर से पराजित किया। निजामुद्दीन की इस सीट पर यह चौथी जीत है। इससे पहले वह दो बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर और एक बार कांग्रेस के टिकट पर जीत चुके हैं।
55 प्रतिशत मुस्लिम और 45 प्रतिशत हिंदू मंगलौर विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक ताने-बाने को देखें तो यहां 55 प्रतिशत मुस्लिम और 45 प्रतिशत हिंदू हैं। हिंदुओं में भी लगभग 22 प्रतिशत अनुसूचित जाति, जनजाति व ओबीसी मतदाता हैं। इस दृष्टि से भाजपा के लिए यहां के समीकरण हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहे हैं। यह सीट परंपरागत रूप से बसपा व कांग्रेस के पास ही रही है।
राज्य गठन के बाद से अब तक के विस चुनावों पर नजर दौड़ाएं तो यह सीट चार बार बसपा और एक बार कांग्रेस के पास रही है। भाजपा यहां तीसरे और चौथे स्थान की लड़ाई लड़ती रही है। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां से बसपा प्रत्याशी सरवत करीम अंसारी ने जीत दर्ज की। उनके निधन के कारण यह सीट रिक्त हो गई थी। उपचुनाव में मुकाबला इस बार त्रिकोणात्मक था।