3 लाख 50 हजार वर्गफुट क्षेत्र में फैली है परियोजना
आधुनिक तकनीक की एक प्रभावशाली शृंखला के माध्यम से जीवंत किए गए हैं। जटिल दार्शनिक अवधारणाओं को सुलभ और आकर्षक तरीके से समझाने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग किया है। अमर प्रेरणा ट्रस्ट के अध्यक्ष अभय फिरोदिया ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना 3 लाख 50 हजार वर्गफुट क्षेत्र में फैली है। यह संग्रहालय नहीं बल्कि पीढिय़ों के बीच बना पुल है। यहां धार्मिक ज्ञान को युवा पीढ़ी, खासकर मिलेनियल्स और जेन जेड तक पहुंचाने के जोर दिया है। यह भी पढ़ें
गांव के लड़कों को देते थे ‘प्ले बॉय’ बनने का ऑफर, फिर शुरू होता था ‘गंदा खेल’!
350 अलग-अलग शैलियों की कलाकृतियां
30 दीर्घाओं में इमर्सिव प्रदर्शन, इंटरेक्टिव डिस्प्ले और 350 से अधिक विशेष रूप से अलग-अलग शैली की कलाकृतियां और मूर्तियां हैं। संग्रहालय में 35 से अधिक प्रोजेक्टर, 675 ऑडियो स्पीकर, आठ हजार लाइटिंग फिक्स्चर और 230 से अधिक एलईडी स्क्रीन हैं।खासियत
-2200 साल पुरानी पाले जैन गुफाओं के निकट 50 एकड़ में निर्मित।-24 जैन तीर्थंकरों की गाथा, संदेशों की प्रासंगिकता की दिखेगी झलक।
-400 करोड़ रुपए से ज्यादा लागत, लगभग 12 साल में हुआ तैयार।
-4185 टन जैसलमेर के विशेष पत्थर से बना 100 फीट का मानस्तंभ
-एक हजार साल से भी पुरानी पांडुलिपी भी सुरक्षित
-30 गैलरी में प्राचीन जैन शिक्षाओं को अत्याधुनिक तकनीक के साथ किया मिश्रण
-जैन धर्म से अपरिचित लोगों के लिए ऑडियो-विजुअल तकनीक से इंटरेक्टिव प्रदर्शन
-आउटडोर नेचर ट्रेल में देशभर के प्रमुख जैन तीर्थों की झलक
-उड़ीसा और गुजरात के कलाकारों ने किया काम
-निर्माणाधीन चिल्ड्रन म्यूजियम और चिल्ड्रंस प्ले एरिया
नया अध्याय
यह संग्रहालय प्राचीन ज्ञान और समकालीन समझ को जोडऩे के साथ ही आधुनिक दर्शकों के लिए धार्मिक विरासत की प्रस्तुति में एक नया अध्याय लिखेगा। सनातन धर्म में जो आदर्श बताए हैं उसे म्यूजियम में दर्शाया गया है। इससे पहले विश्वभर के म्यूजियम का दौरा किया। इसके बाद स्कॉलर, देश-विदेश के विद्वान से कई रणनीति के साथ यह संग्रहालय शुरू किया। जैन परंपरा आत्मज्ञान और मुक्ति की ओर प्रगति का मार्ग दिखाती है।-अभय फिरोदिया, अध्यक्ष, अमर प्रेरणा ट्रस्ट