40 से अधिक देशों के वित्त मंत्री, 16 केंद्रीय बैंकों के गवर्नर होंगे शामिल
दावोस बैठक में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, चीन के प्रधानमंत्री ली क्यांग, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेएन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, अमरीकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन भाग लेंगे। बैठक में 40 से अधिक देशों के वित्त मंत्री और 16 केंद्रीय बैंकों के गवर्नर के साथ डब्ल्यूटीओ की महानिदेशक नगोजी ओकोन्जो-इवेला भी शिरकत करेंगी।
भारत से तीन केंद्रीय मंत्री करेंगे शिरकत
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में तीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अश्विनी वैष्णव और हरदीप सिंह पुरी के साथ तीन मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और कर्नाटक के सिद्धारमैया भी शामिल होंगे। इसमें भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के अलावा गौतम अडाणी, संजीव बजाज, कुमार मंगलम बिड़ला, एन चंद्रशेखरन, नादिर गोदरेज, सज्जन जिंदल, रोशनी नादर मल्होत्रा, नंदन नीलेकणि और रिशद प्रेमजी जैसे कारोबारी दिग्गज भी शामिल होंगे।
बैठक में होगा मुख्य रूप से 5 मुद्दों पर मंथन
1. खंडित दुनिया में सहयोग और सुरक्षा को हासिल करना
2. नए युग में ग्रोथ और नौकरियों का सृजन
3. अर्थव्यवस्था और समाज की चालक शक्ति के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI)
4. जलवायु, प्रकृति और ऊर्जा के लिए दीर्घकालीन रणनीति
5. जीवन से प्रयोगशाला तकः एक्शन में विज्ञान
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बॉट्स और षड्यंत्रों से लोकतंत्र की रक्षा पर बोलेंगी ईरानी
वर्ष 2024 में होने वाले चुनावों का असर दुनिया की 4 अरब से ज्यादा आबादी पर होगा। पर साथ ही चुनौती ये है कि जब एआइ जनित सामग्री से लेकर सोशल मीडिया तक सूचना के मुख्य जरिए बन रहे हैं, तो सही सूचना लोगों तक कैसे पहुंचे। भारत की महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी इस विषय पर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलेंगी।
जलवायु और ऊर्जा के लिए सही रणनीति पर बोलेंग पुरी
दुनिया के सामने इन दिनों सबसे बड़ी चुनौती है ऐसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन बढ़ाना, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम के कम हो। भारत के पेट्रोलिय मंत्री इसी विषय पर बोलेंगे।
भारत में फेक न्यूज अगले दो सालों में सबसे बड़ा खतरा
वार्षिक बैठक से पहले डब्ल्यूईएफ ने अपनी वार्षिक ‘वैश्विक जोखिम रिपोर्ट’ में कहा है कि भारत, अमरीका समेत दुनिया के करीब 50 देशों में इस साल चुनाव हैं। ऐसे में गलत सूचना के चलते विभाजन और सामाजिक ध्रुवीकरण दुनिया के सामने सबसे बड़े तात्कालिक जोखिमों में से एक बनकर उभरा है। रिपोर्ट के अनुसार, अकेले भारत के मामले में ,’गलत और अधूरी सूचना’ अगले दो साल में सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। इसके बाद संक्रामक रोग, अवैध आर्थिक गतिविधि, आय की असमानता और श्रम की कमी पांच सबसे बड़े अल्पकालिक जोखिम हैं।