script2006 Malegaon Bombings: हिंदू, मुस्लिम, सिमी, बम, आतंकी, पाकिस्तानी की बिछ गई थी 31 लाशें, जानिए 18 साल पहले हुए मौत के तांडव की असली कहानी | 2006 Malegaon bombings: Hindus, Muslims, Pakistanis, SIMI, terrorists, bombs and 31 corpses were strewn, know the real story of the dance of death that happened in Malegaon 18 years ago | Patrika News
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2006 Malegaon Bombings: हिंदू, मुस्लिम, सिमी, बम, आतंकी, पाकिस्तानी की बिछ गई थी 31 लाशें, जानिए 18 साल पहले हुए मौत के तांडव की असली कहानी

मालेगांव विस्फोट में हिंदुओं के अलावा मुस्लिम समाज से जुड़े कुछ युवकों को आरोपी बनाया गया था। इन आरोपियों ने अपना गुनाह भी कबूल किया। इनमें से अधिकतर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से जुड़े हुए थे। इसके अलावा मुंबई पुलिस की ओर से कहा गया था कि इसमें दो पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल थे।

पुणेSep 09, 2024 / 11:12 am

Anand Mani Tripathi

8 सितंबर 2006… ये वो तारीख थी, जब महाराष्ट्र का मालेगांव एक दो नहीं बल्कि चार धमाकों से दहल उठा। एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, इन धमाकों में 31 लोग मारे गए थे और 312 लोग घायल हुए। चार में से तीन विस्फोट हमीदिया मस्जिद और एक विस्फोट मुशवरत चौक पर हुआ था। जब इस मामले की जांच की गई तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, जैसे साइकिलों में बम को बांधा गया था और इसका मकसद सांप्रदायिक दंगों को भड़काना था। आइए जानते हैं कि मालेगांव बम ब्लास्ट की साजिश किसने रची और इसके पीछे कौन-कौन शामिल था।
8 सितंबर 2006 को शब-ए-बारात थी। इस्लाम धर्म में शब-ए-बारात का काफी महत्व है, हर एक मुसलमान इस रात जागकर नमाज अदा करता है। साथ ही वह अपने पूर्वजों की कब्र पर जाकर उनके लिए दुआ करते हैं। शब-ए-बारात का पवित्र दिन होने की वजह से मालेगांव के मुस्लिम बहुल क्षेत्र में काफी चहल-पहल थी। इसी दौरान इलाका बम विस्फोट से दहल उठा। कोई भी कुछ समझ पाता, तब तक तीन और विस्फोट हो गए। तीन धमाके हमीदिया मस्जिद के पास हुए और एक मुशवरत चौक पर हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बम धमाकों को अंजाम देने के लिए साइकिलों को चुना गया था। जब इलाके में विस्फोट हुआ तो उस दौरान लोगों की भीड़ थी। विस्फोट इतना जोरदार था कि वहां मौजूद सैकड़ों लोग इसकी चपेट में आ गए। इसमें 31 लोगों की मौत हुई और 312 लोग घायल हुए। विस्फोट के शिकार अधिक मुस्लिम समुदाय के थे। हालात के मद्देनजर प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू तक लगा दिया और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई।
महाराष्ट्र पुलिस ने पहल इन विस्फोटों के लिए हिंदूवादी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा या जैश-ए-मोहम्मद के शामिल होने का संदेह जताया था। हालांकि, इन्हें लेकर कोई पुख्ता सबूत सामने नहीं आ पाया। लेकिन, जब इस मामले की जांच का जिम्मा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपा गया तो उनकी शुरुआती जांच में ही अपराध की परतें खुलने लगीं। पहली गिरफ्तारी 30 अक्टूबर को स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के एक सदस्य की हुई।
जांच में पता चला कि इन विस्फोटकों में आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट और ईंधन तेल का इस्तेमाल किया गया था। साल 2011 में दाखिल की गई एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, जांच के दौरान 21 आरोपियों की मिलीभगत सामने आई, जिनमें से एक आरोपी की मौत हो गई और सात आरोपी फरार बताए गए। एटीएस महाराष्ट्र ने 2006 में 9 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
मालेगांव विस्फोट में हिंदुओं के अलावा मुस्लिम समाज से जुड़े कुछ युवकों को आरोपी बनाया गया था। इन आरोपियों ने अपना गुनाह भी कबूल किया। इनमें से अधिकतर स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) से जुड़े हुए थे। इसके अलावा मुंबई पुलिस की ओर से कहा गया था कि इसमें दो पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल थे। मालेगांव बम विस्फोट मामले में कई गिरफ्तारियां भी की गईं। 16 नवंबर 2011 को मालेगांव विस्फोटों के सात आरोपियों को पांच साल जेल में रखने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया गया था। इस दौरान कुछ गवाह अपने बयान से भी पलट गए थे।

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