न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने यह आदेश और टिप्पणी अभिनेता द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए दी, जिसके खिलाफ इस साल सितंबर में न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट जारी होने के बाद मामला दर्ज किया गया था।
महिला द्वारा 17 साल बाद शिकायत दर्ज की गई
मेनन ने अपनी याचिका में यह तर्क दिया कि शिकायत 2007 में कथित घटना के घटित होने के 17 साल बाद दर्ज की गई थी, और इसे उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया है। अदालत ने इस तर्क को गंभीरता से लिया और कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि घटना 2007 में घटी थी और महिला द्वारा 17 साल बाद शिकायत दर्ज की गई। न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने कहा, “यह सही है कि याचिकाकर्ता (मेनन) एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं, जिन्होंने लगभग 40 फिल्मों का निर्देशन किया है और दो राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया है। ऐसे में, एक महिला के बयान पर, जो 17 साल बाद दिया गया, मामला दर्ज किया गया है। यह सच है कि जांच चल रही है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि गरिमा और सम्मान केवल महिलाओं के लिए नहीं, बल्कि पुरुषों के लिए भी होते हैं।”
अदालत ने आगे कहा कि मेनन को जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया और कहा कि वह अगले दो सप्ताह के भीतर पूछताछ के लिए जांच अधिकारी के सामने हाजिर हों। इसके बाद, यदि जांच अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने का प्रस्ताव रखते हैं, तो उन्हें 50,000 रुपये के बांड और समान राशि के दो जमानतदारों के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा।