मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां के बारे में एक चर्चित धारणा है कि कोई हवा में पत्थर न उछाले, क्योंकि वो जाकर किसी शिक्षक को लग सकता है। नरसिंहपुर जिले के इस अनोखे गांव का नाम है सिंहपुर। गांव के लोगों का कहना है कि ‘ हमारी यही कामना है कि गांव की अगली पीढ़ी भी इसी राह पर आगे बढ़े। क्योंकि, शिक्षक होना गर्व की बात है। इंसान तो एक दिन इस दुनिया से चला जाता है, लेकिन किसी को बांटा जाने वाला ज्ञान या शिक्षा ही अमर रहती है। गांव के हर एक शख्स की यही सोच है कि उनकी पीढ़ियां भी देश को शिक्षित बनाने के प्रयास में सहयोग करती रहें।
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आने वाली पीढ़ी भी बने टीचर- ग्रामीण
सिंहपुर गांव के हर माता-पिता का ये ही सपना है कि जिस तरह वो खुद या उनके परिवार के सदस्य शिक्षक हैं, उसी तरह उनका बेटा या बेटी भी शिक्षक ही बनें। शिक्षा ही वह ताकत है जो समाज को आगे बढ़ाती है और जो गौरव बीती 5-7 पीड़ियों से बना हुआ है, वो आगे भी इसी तरह जारी रहे। शिक्षक बनकर जिस गर्व की अनुभूति उन्हें महसूस होती है, उनके बच्चे भी उसी गर्व को महसूस करें।एक परिवार में हैं दस टीचर
नरसिंहपुर के गांव सिंहपुर की आबादी 5500 के आसपास है, जिसमें 400-500 शिक्षक इस गांव में हैं। गांव के रहने वाले राजेश कुमार शर्मा का कहना है कि, उनके माता-पिता ने ऐसे संस्कार दिए कि उनके परिवार में 10 शिक्षक हैं। यह भी पढ़ें- किसानों की बल्ले-बल्ले, पीएम किसान समृद्धि से लाखों किसान परिवारों को मिलेगा फायदा