नरसिंहपुर

घरों घर बहनों ने भाई की कलाई पर बांधे स्नेह के धागे

अंचल में शांति सदभाव से मना रक्षाबंधन पर्व

नरसिंहपुरAug 26, 2018 / 05:16 pm

ajay khare

Rakhi

गाडरवारा। रविवार को नगर से लेकर गांव गांव में बहनों ने अपने भाईयों की कलाई पर स्नेह के प्रतीक रक्षासूत्र बांधकर आपसी संबंधों को प्रगाढ़ किया। इस अवसर पर सुबह से ही अनोखा वातावरण बना रहा। घरों में राखी बंधवाने, व्यंजन बनाने की तैयारियां चलती रहीं। अपरान्ह से शुभ मुहूर्त में राखी बांधने का जो सिसिला आरंभ हुआ वह अब निरंतर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक चलेगा। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो लोग रक्षाबंधन पर राखी नहीं बंधवा पाते वह जन्माष्टमी तक राखी बंधवा सकते हैं। लेकिन रक्षाबंधन के दिन की बात अलग ही होती है, इसका महत्व सर्वाधिक होता है। बताया गया है नगर में अनेक मुस्लिम भाईयों ने हिंदू बहनों एवं कुछ मुस्लिम बहनों ने अपने हिंदू भाईयों को धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर राखी बांधी। सुबह से ही बाजारों में राखी की रौनक दिखाई दी। नगर में बहनें राखी की थाली लेकर आसपास रहने वाले भाईयों के घर जाते दिखाई दीं। वहीं बाहर से आने वाली बहनों, भाईयों से रेलवे स्टेशन, बसस्टैंड आबाद रहा। रविवार को भी रिमझिम बरसात के बावजूद रक्षाबंधन के उत्साह में कोई कमी नहीं रही। दिन भर राखी का उत्साह चरम पर रहा। त्यौहार का सबसे अधिक आनंद छोटे बच्चों ने लिया।
नर्मदा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
क्षेत्रीय लोगों में मां नर्मदा के प्रति अगाध आस्था है। लोग प्रत्येक अमावस्या, पूर्णिमा पर नर्मदा स्नान करने जाते हैं। इसी कड़ी में श्रावण मास की पूर्णिमा पर क्षेत्रीय नर्मदा तटों पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इसमें सबसे अधिक लोग प्रतिकूल मौसम के बाद भी नर्मदा स्नान करने ककराघाट पहुंचे। यहां नर्मदा में जलस्तर बढ़ा हुआ था। लोगों ने पवित्र नर्मदा में आस्था की डुबकियां लगाई। हर नर्मदे के जयकारों से नर्मदा तट गूंजते रहे। दोपहर तक लोगों का आना-जाना स्नान का क्रम चलता रहा। लोगों ने नर्मदा तटों पर परिक्रमावासियों को दान पुण्य करके भी धर्मलाभ लिया। अनेक क्षेत्रीय मंदिरों में भी रक्षाबंधन पूर्णिमा के चलते पूजन अर्चन, दर्शन का क्रम जारी रहा।
दिगम्बर जैन चैत्यालय में मना रक्षाबंधन
नगर के श्री तारण तरण दिगम्बर जैन चैत्यालय जी में रक्षाबंधन की पूर्व रात्रि में परम्परागत अनुसार रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। ज्ञातव्य रहे कि इस अवसर पर रक्षाबंधन की कथा का वाचन किया जाता है। तत्पश्चात सभी जैन समाज के जन एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधते हैं। रक्षाबंधन पर इस माध्यम से सामाजिक एकता का संदेश दिया जाता है।

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