गाडरवारा-सालीचौका। सालीचौका के निकटवर्ती गोविंद नगर के भाऊसाहब भुस्कुटे स्मृति लोकन्यास में ग्राम ज्ञानपीठ के अंर्तगत महिला कारीगरों ने ईको फ्रेंडली राखियां बनाई हैं। बताया गया है इन्होंने दो माह में सात हजार राखियां बनाई हैं। उक्त खास राखियां बाजार में भी उपलब्ध कराई जाएगी। राज्यसभा सांसद स्व अनिल माधव दवे की संस्था नर्मदा समग्र अभियान बैतूल, भारत भारती शिक्षा विकास समिति ने इन ईको फ्रेंडली राखियों की मांग की है। लोक न्यास के अनिल अग्रवाल ने बताया कि यह राखियां पर्यावरण मित्र होती हैं। इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जनजागरण अभियान भी चलाया जा रहा है। सालीचौका के निकटवर्ती गोविंद नगर के भाऊसाहब भुस्कुटे स्मृति लोकन्यास में ग्राम ज्ञानपीठ के अंर्तगत महिला कारीगरों ने ईको फ्रेंडली राखियां बनाई हैं। बताया गया है इन्होंने दो माह में सात हजार राखियां बनाई हैं। उक्त खास राखियां बाजार में भी उपलब्ध कराई जाएगी। राज्यसभा सांसद स्व अनिल माधव दवे की संस्था नर्मदा समग्र अभियान बैतूल, भारत भारती शिक्षा विकास समिति ने इन ईको फ्रेंडली राखियों की मांग की है। लोक न्यास के अनिल अग्रवाल ने बताया कि यह राखियां पर्यावरण मित्र होती हैं। इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जनजागरण अभियान भी चलाया जा रहा है।
ऐसे बनती है खास राखियां
खास इको फ्रेंडली राखी बनाने में बांस, सूती धागा, कागज और प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया गया है। राखी में उपयोग करने वाले कलर का भी विशेष ध्यान रखा गया है। जिससे लोगो के शरीर पर कोई नुकसान न हो। प्राकृतिक तौर तरीके से बनी इन राखियों से न तो पर्यावरण को और न ही मनुष्य के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव होगा। राखी बनाने बाली महिलाओं ने बताया कि एक राखी बनाने में 10 से 15 मिनिट लगते हैं। यदि राखी बिक गई तो अगले वर्ष ज्यादा से ज्यादा राखियों का निर्माण करेंगे।
पहले भी किए पर्यावरण संरक्षण के प्रयास
यहां के कारीगरों द्वारा पहले भी पर्यावरण संरक्षण के प्रयास किए जाते रहे हैं। इससे पहले इन्ही करीगरों ने मिट्टी के बर्तन, दीपक, बांस के मकान आदि बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दिया था।
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