नरसिंहपुर

Diwali Special : भगवान लक्ष्मीनारायण का ऐसा मंदिर जिसकी मूर्ति से बरसता था सोना

सालिगराम पत्थर से बनी भगवान लक्ष्मीनारायण की अद्भभुत प्रतिमा..1680 में हुआ था मंदिर का निर्माण…

नरसिंहपुरNov 11, 2023 / 07:04 pm

Shailendra Sharma

नरसिंहपुर. दीपावली के पावन पर्व पर पत्रिका आपको एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे में बता रहा है जो अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। जगत के पालन हार भगवान नारायण और धन की देवी मां लक्ष्मी की एक ऐसी अद्भुत प्रतिमा जो सोना उगलती थी। दावा है कि करीब 400 साल पुराने इस मंदिर में एक नारियल से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। नरसिंहपुर से महज 7 किलोमीटर की दूरी पर बसे सिंहपुर (बड़ा) गांव में बने भगवान लक्ष्मीनारायण के सदियों पुराने मंदिर पर एक विशेष रिपोर्ट…

मूर्ति से बरसता था सोना
नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर (बड़ा) गांव के लक्ष्मीनारायण मंदिर में विराजमान भगवान लक्ष्मीनारायण की अद्भुत मूर्ति से सालों पहले सोना बरसता था। मूर्ति के पास सोने की हलकी सी परत जमी मिलती थी। मंदिर के पुजारी जुगल किशोर स्वामी ने बताया कि नौ पीढ़ियों से उनका परिवार मंदिर की सेवा में लगा हुआ है। पुजारी जुगल किशोर स्वामी के मुताबिक नरसिंहपुर जिले के बरहटा ग्राम जो कि प्राचीन काल में विराट नगर के नाम से जाना जाता था वहां एक चरवाहे को सबसे पहले मूर्ति मिली थी। मूर्ति जमीन में उलटी थी और चरवाहा मूर्ति के पिछले हिस्से पर अपनी कुल्हाड़ी को घिसकर पैना किया करता था। चरवाहे को मूर्ति के पास ही सोने की बारीक परतें मिलती थीं। एक बार जब एक साहूकार को चरवाहे ने सोना दिया तो उसे चरवाहे पर शक हुआ। साहूकार ने नगर के राजा को इस बात की जानकारी दी तो राजा ने चरवाहे को बुलाकर पूछा तो उसने पत्थर के पास सोने की परत मिलने की बात कही थी। तब इस मूर्ति का पता चला था। ऐसी भी कहा जाता है कि ये मूर्ति द्वापर युग की है।

1680 में हुआ मंदिर का निर्माण
पुजारी जुगल किशोर के मुताबिक बरहटा (विराट नगर) में मूर्ति के मिलने के बाद जब स्थानीय लोगों ने उसे उठाने का प्रयास किया तो मूर्ति नहीं उठी। जिसके बाद सिंहपुर में रहने वाले उनके पूर्वज को बुलाया। जिन्होंने पूजन पाठ कर जब मूर्ति को उठाया तो मूर्ति आसानी से उठ गई। मूर्ति को लेकर दिलहरी के राजा अपने दिलहरी स्थित महल ले जा रहे थे। रात होने पर मूर्ति को सिंहपुर में रखा गया पर भगवान की लीला कहें या फिर कुछ और दूसरे दिन फिर मूर्ति सिंहपुर से नहीं उठी। जिसके बाद दिलहरी के राजा ने सिंहपुर में ही लक्ष्मीनारायण के मंदिर का निर्माण कराया।

सालिगराम पत्थर की अद्भुत प्रतिमा
सिंहपुर के लक्ष्मीनारायण भगवान की मूर्ति सालिगराम पत्थर की बताई जाती है जो अपने आप में अद्भुत है। मूर्ति चतुर्भुजी है जिसमें भगवान लक्ष्मीनारायण के बाएं ओर लक्ष्मी जी उनकी जंघा पर विराजमान हैं और भगवान उन्हें एक हाथ से संभाले हुए हैं। भगवान के एक हाथ में शंख है..एक में गदा और एक हाथ में पदम है। माना जाता है कि भारत में बद्रीनाथ धाम के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण की ऐसी मूर्ति सिर्फ सिंहपुर के लक्ष्मीनारायण मंदिर में है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में एक नारियल से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है। भगवान लक्ष्मीनारायण की कृपा से सिंहपुर गांव काफी समृद्ध है और ग्रामीण तो ये भी कहते हैं ये भगवान लक्ष्मीनारायण की ही कृपा है कि गांव में अभी तक कभी अकाल नहीं पड़ा है।

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